Ranchi : हाल के महीने में सीआइडी ने कई चर्चित मामलों को टेकओवर किया है. और कई बड़े मामलों का खुलासा भी किया है. इसी बीच कई ऐसे बड़े मामले भी हैं, जिसकी जांच लंबित पड़े हुए हैं. इन पेंडिंग मामलों की जांच सीआईडी पूरा करती है तो बड़े अधिकारियों की परेशानियां बढ़ सकती है.
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जानिये कुछ ऐसे मामले जिसकी जांच पड़े हैं लंबित
ECL कर्मी को गांजा तस्कर बता जेल भेजने का मामला : धनबाद में इसीएल कर्मी को चिरंजीत घोष गांजा तस्कर बताकर जेल भेजने के मामले की सीआईडी जांच कर रही है. इस मामले में सीआइडी ने पिछले साल पश्चिम बंगाल के कोयला तस्कर राजीव राय सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. और इन चारों के खिलाफ सीआइडी चार्जशीट भी दायर कर चुकी है. हालांकि इस मामले की जांच अब तक पूरी नहीं हो पायी है.
बड़कागांव से अमन साहू के फरारी मामले की जांच : रामगढ़,रांची,चतरा,हजारीबाग,लातेहार में सक्रिय अपराधी अमन साहू को रांची पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. पिछले साल 27 सितंबर को बड़कागांव थाना हाजत से अमन साहू की फरारी मामले में दर्ज कांड संख्या 169/19 की जांच सीआइडी कर रही है. कांड के सूचक चौकीदार भुवनेश्वर पासवान, तत्कालीन बड़कागांव थाना प्रभारी (अब बर्खास्त) मुकेश कुमार और एसडीपीओ अनिल सिंह सहित अन्य से सीआइडी पूछताछ कर चुकी है. पूछताछ और कांड में बताये गये तथ्यों के आधार पर सीआइडी के सामने कई विरोधाभाषी बातें सामने आयी थीं.इस मामले में दारोगा मुकेश कुमार पर सीआईडी ने चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. लेकिन इस मामले की जांच अबतक पूरी नहीं हो पायी है.
कोयला तस्करी में पुलिस अफसरों की भूमिका की CID कर रही जांच : मगध-आम्रपाली कोल परियोजना के प्रोजेक्ट अफसर की शिकायत पर बालूमाथ इलाके में कोयला तस्करी की जांच सीआइडी कर रही है. सीआइडी ने लातेहार पुलिस के एसआइटी द्वारा की गयी जांच में आये तथ्यों के आधार पर केस को टेकओवर किया है. इस संबंध में बालूमाथ थाना में दर्ज केस 126/20 के अनुसंधान की जिम्मेदारी डीएसपी स्तर के अधिकारी जेपी चौधरी को दी गयी है. सीआइडी कोयला तस्करी में लातेहार के एसडीपीओ रहे रणवीर सिंह, बालूमाथ के थानेदार रहे राजेश मंडल और पूर्व में बालूमाथ में तैनात रहे पुलिस अफसरों के अलावा चतरा, रांची, रामगढ़ समेत अन्य जिलों में कोयला तस्करी में शामिल अफसरों की भूमिका की जांच करेगी. कोयला तस्करी में सीसीएल के अफसरों-कर्मियों की भूमिका की जांच भी सीआइडी कर रही है. लेकिन अबतक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो पायी है.
आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे जाने का मामला
हजारीबाग जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को अफीम और ब्राउन सुगर प्लांट कर जेल भेजने के मामले में सीआईडी जांच कर रही है. बीते 3 मार्च को हजारीबाग के लोहसिंघिया थाने की पुलिस ने राजेश मिश्रा को नारकोटिक्स पदार्थ के साथ पकड़े जाने के बाद जेल भेजा था. पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी थी कि भू-माफियाओं और जिला प्रशासन के कर्मियों की मिलीभगत से राजेश मिश्रा को फंसाया गया था.
जांच के बाद हजारीबाग पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया था. 21 मार्च को राजेश मिश्रा की जेल से रिहाई हुई थी. सीआईडी हजारीबाग के क्राइम ब्रांच प्रभारी को केस का मुख्य जांच पदाधिकारी बनाया गया है, साथ ही उन्हें सहयोग देने के लिए इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारियों को भी टीम में शामिल किया गया है. इस मामले में पुलिस मुख्यालय के आदेश पर केस को बीते 11 मई को टेकओवर किया गया था. इस मामले की जांच जारी है.
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