Ranchi. पड़ोसी राज्य बिहार में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे झारखंड में भी शराब के अवैध कारोबारियों में हलचल तेज हो गयी है. इन दिनों सोशल साइट्स से लेकर चाय के ठेलों के साथ ही राहगीरों और कार्यालयों में सिर्फ बिहार चुनाव की ही चर्चायें हो रही हैं. चाय की चुस्की में भी बिहार चुनाव का ही जिक्र होने लगा है.
बहुत हद तक ऐसा होना स्वभाविक भी है, क्योंकि बिहार और झारखंड दो राज्य जरूर हैं, लेकिन इनके बीच की दूरी और सांस्कृतिक विचारधारा में नाम मात्र का भी अंतर नहीं है.
लेकिन इस सबके बीच बिहार चुनाव का सबसे बड़ा और नकारात्मक प्रभाव ये पड़ा है कि राज्य में शराब की बिक्री एकाएक बढ़ गयी है. इसके साथ ही नकली शराब बनाने का काम भी राज्य में बिहार चुनाव को देखते हुए अब जोर पकड़ रहा है. बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड के शराब तस्कर सक्रिय भी हो गये हैं. बिहार में शराब बंद होने की वजह से झारखंड के सीमावर्ती इलाकों के रास्ते अवैध तरीके से शराब भेजने में तस्कर जुट गये हैं. तस्करी के लिए अलग-अलग रूट भी तलाश लिये गये हैं. खास बात यह है कि घने जंगल के रास्तों से लेकर सोन नदी की धार पर नाव के सहारे भी शराब उस पार भेजी जा रही है.
कुछ राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त है
तस्करों को फोन और वाट्सअप पर डिमांड आ रहा है और उसके अनुसार झारखंड से शराब की खेप बिहार में पहुंच रही है. बिहार के पास के झारखंड के जिलों गढ़वा, पलामू, चतरा,हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, दुमका, गोडडा और साहिबगंज में शराब के तस्कर सक्रिय हो चुके हैं.
जानकारी के अनुसार, बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान वोटरों को रिझाने के लिए कुछ राजनीतिक दल इन शराब तस्करों को संरक्षण दे रहे हैं. तस्करी में घने जंगल के रास्ते शराब तस्करों को सहयोग कर रहे हैं. कई जगह नक्सलियों के संरक्षण में भी अवैध शराब का धंधा फल-फूल रहा है. वहीं कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां दोनों राज्यों की सीमा के रूप में सोन नदी बह रही है.
इन इलाकों में सोन नदी की धार पर रात के अंधेरे में नाव से भी शराब की खेप पहुंच रही है. इसके साथ ही कार और लग्जरी वाहनों में शराब की पेटियां छिपाकर बिहार ले जाने और भेजे जाने का सिलसिला भी अचानक तेज हो गया है.
नकली शराब की भी बढ रही है मांग
बिहार में जा रही शराब में नकली शराब की तस्करी की भी जानकारी मिल रही है. झारखंड स्टेट विबरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के गोदाम से भी पूर्व में अवैध शराब की तस्करी के खुलासे हो चुके हैं. इसके अलावा जंगलों में ब्रांडेड बोतलों में अवैध नकली शराब तैयार करने के खुलासे भी लगातार हो रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों में कोडरमा, गिरिडीह और रांची में एक हफ्ते के दौरान तीन ऐसे भी मामले पकड़े गये, जहां घरों में नकली शराब बनायी जा रही थी. पकड़े गये आरोपियों ने ये भी माना है कि उन्हें बिहार चुनाव के लिए शराब बनाने के बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिले थे.
हर सीमा पर अलग-अलग तरीका
कोडरमा इलाके से बालू-गिट्टी वाली गाडिय़ों में भारी मात्रा में शराब बिहार भेजी जा रही है. वहीं पलामू और गढ़वा से शराब रात के अंधेरे में सोन नदी का सहारा लिया जा रहा है. इन कार्यों में नक्सली भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. हजारीबाग के चौपारण का जंगल बिहार में शराब की तस्करी का सिल्क रूट है. इन इलाकों में अवैध और नकली शराब निर्माण का भी भंडाफोड़ होता रहा है. चतरा जिले के हंटरगंज और प्रतापपुर के दो दर्जन से अधिक गांवों में शराब की अवैध भट्ठियां संचालित हैं, जहां से तैयार शराब जंगल के रास्ते बिहार की सीमा में प्रवेश कर रहा है. साहिबगंज जिले के चार थाना मुफ्फसिल, राजमहल, मिर्जा चौकी और जिरवाबाड़ी से बिहार की सीमा सटती है.
यहां से भी कई बार अवैध शराब की बरामदगी भी हो चुकी है. कुछ दिनों पहले ही शराब लदा एक ऑटो मिर्जाचौकी चेकपोस्ट पार कर गया, लेकिन बिहार के पीरपैंती चेकपोस्ट पर पकड़ा गया था. राज्य के देवघर, गोड्डा और गिरीडीह की भी हालत कुछ ऐसी ही है.