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Home जानकारी

Knowledge :  रोचक है भारत की पहली AC ट्रेन का सफर

भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे सिस्टम है

by Lagatar News
01/11/2021
in जानकारी, देश-विदेश

New Delhi :  दुनिया का सबसे बड़ा परिवहन का माध्यम ट्रेन का इतिहास भी बहुत रोचक है. स्टीम इंजन से लेकर डीजल और फिर बिजली इंजन तक का सफर और ट्रेनों में मौजूद सुविधाएं हमारे वैज्ञानिक सोच का प्रमाण तो हैं ही, साथ ही यह देखना भी दिलचस्प है कि इसका क्रमिक विकास कैसे हुआ. भारतीय रेल  दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे सिस्टम है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश की वह कौन सी ट्रेन थी जिसमें सबसे पहले AC बोगी का इस्तेमाल किया गया और इसकी शुरूआत कैसे हुई थी. देश की पहली एसी ट्रेन  93 साल पहले 1 सितंबर 1928  को शुरू हुई थी. इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल (Frontier Mail Train) है. वैसे तो इस ट्रेन को पंजाब मेल के नाम से भी जाना जाता था, लेकिन 1934 में जब इसमें AC कोच जोड़ा गया तो इसका नाम बदलकर फ्रंटियर मेल रख दिया गया. 1996 में इसका नाम बदलकर ‘गोल्डन टेम्पल मेल’ कर दिया गया.

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उस समय की यह बेहद खास ट्रेन थी

आप सोच रहे होंगे कि उस समय इस ट्रेन को ठंडा रखने के लिये क्या किया जाता होगा. फ्रंटियर मेल की AC बोगी को ठंडा रखने के लिए आज-कल की तरह आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता था, बल्कि एक खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था. दरअसल, उस समय ट्रेन को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था. एसी बोगी को ठंडा करने के लिए बोगी के नीचे बॉक्स रखे जाते थे. उस बॉक्स में बर्फ रखकर पंखा चलाया जाता था. इस पंखे के सहारे यात्रियों को ठंडक पहुंचती थी. यह ट्रेन बेहद खास थी क्योंकि इसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी नें भी सफर किया था. इस ट्रेन की खासियत थी कि ये कभी लेट नहीं होती थी.

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मुंबई से पेशवर तक चलती थी ट्रेन

उस समय के हिसाब से देखा जाए तो इस ट्रेन का सफर भी लम्बा था. ट्रेन मुंबई से अफगान बार्डर, पेशावर तक चलती थी. तब इस ट्रेन में अंग्रेज अफसरों के अलावा स्वतंत्रता सेनानी यात्रा करते थे. ट्रेन दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक जाती थी. ट्रेन यह सफर  72 घंटे में पूरी करती थी. इस दौरान पिघले हुए बर्फ को अलग-अलग स्टेशनों पर निकाल कर फिर भरा जाता था.

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देर होने पर की गयी थी कार्रवाई

1934 में शुरू हुई  इस ट्रेन  में लोग सफर करना  अपनी शान समझते थे. आजादी के बाद यह ट्रेन मुंबई से अमृतसर तक चलाई जाने लगी. इसकी टाइमिंग बहुत अच्छी थी.  पर इस ट्रेन के शुरू हुए 11 महीने बाद जब एक बार ट्रेन लेट हुई तो सरकार ने कार्रवाई करते हुए  इसके ड्राइवर को नोटिस भेजकर जबाव तलब किया था. कहा जाता हा कि 1930-40 तक इस ट्रेन में 6 बोगियां होती थीं. तब इसमें 450 लोग सफर किया करते थे. यात्रा के दौरान प्रथम और दूसरे श्रेणी के यात्रियों को खाना भी दिया जाता था. इतना ही नहीं यात्रियों को समाचार पत्र, कितावें और ताश के पत्ते मनोरंजन के लिए दिए जाते थे.

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