Koderma : सतगावां में बड़ी-बड़ी नदियां अब नाले का रूप ले रही है, क्योंकि इसका जलस्तर घट चुका है. आने वाले दिनों में पेयजल की गंभीर समस्या भी सामने आ सकती है. आये दिन अखबारों में अवैध खनन को लेकर खबर प्रकाशित हो रही है, बावजूद इसके संबंधित विभाग मौन है. कहीं ना कहीं यह अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत को दर्शाता है. इस बाबत ग्रामीणों का कहना कि बालू के अवैध खनन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन और संबंधित विभाग के पदाधिकारियों का हाथ है. दोनों की मिलीभगत से यह काम धड़ल्ले से चल रहा है.
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पेयजल और बालू की होगी किल्लत
नाराजगी भरे लहजे में ग्रामीण कहते हैं कि इससे आने वाले दिनों में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. लोग पानी के लिए त्राहिमाम करते नजर आयेंगे. इससे बालू की किल्लत तो होगी ही. साथ ही नदियां भी नाले का स्वरूप ले लेगी. ग्रामीणों ने कहा कि अगर विभाग बालू माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं करता है तो यह समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है. सतगावां प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में नदियों का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है. बड़ी-बड़ी नदियां (200 से 300 फीट चौड़ाई) अब नाले का रूप ले रही हैं. प्रखण्ड में सबसे ज्यादा मीरगंज पंचायत में अवैध तरीके से बालू उठाया जा रहा है. नदियों में बालू की मात्रा तो कम हो ही रही है, जलस्तर भी घट रहा है. सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है वो अलग.
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ग्रामीणों में नाराजगी
वहीं बालू माफिया हर दिन 1000 से 2500 रुपये प्रति ट्रैक्टर बेच रहे हैं. इसकी जानकारी विभाग को भी है. वहीं बेतरतीब तरीके से पड़ोसी राज्य बिहार के सरकंडा में अवैध बालू का खनन किया जा रहा है. बता दें कि आने वाले समय में पिपरा, महावरा बाघोर आदि जगहों पर बालू सिमट रहा है. बालू के अवैध खनन से क्षेत्र की जनता को भी काफी नुकसान हो रहा है. उन्हें पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा. इससे ग्रामीणों में भी नाराजगी दिख रही है. मीरगंज पंचायत के बॉर्डर से सटे इलाकों में बालू की समस्या और पानी की समस्या शुरू हो गई है.
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