- अपना फायदा चाहते हैं कॉमर्स हेड : कुलसचिव
- मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है : हेड
Jamshedpur (Anand Mishra) : कोल्हान विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे शोधार्थी अपने भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. शोधार्थियों विश्वविद्यालय प्रशासन से रिटायर हो चुके शिक्षकों के बजाय अब सेवारत शिक्षकों को गाइड बनाने की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियम-परिनियम का हवाला दे रहे हैं. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन रिटायर्ड शिक्षकों को ही गाइड बनाये रखने पर अड़ा हुआ है. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि एक संकाय के हेड अपने फायदे के लिए नये नियमों की बात कर रहे हैं. लेकिन जिन नियमों के तहत शोधार्थियों का एनरॉल्मेंट हुआ है, उसी के तहत उनकी पीएचडी पूरी करायी जायेगी. इसे लेकर विश्वविद्यालय की ओर से कई उदाहरण भी दिये जा रहे हैं.
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विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजेंद्र भारती ने स्पष्ट रूप से कहा कि कॉमर्स के हेड अपने फायदे के लिए इस तरह के नियम-परिनियम की बात कर रहे हैं. वे ऐसे सभी शोधार्थियों को अपने अधीन लेना चाहते हैं, जिनके गाइड रिटायर्ड या निलंबित हैं. उन्होंने बताया कि जिस प्रकार सेवा शर्त के मुताबिक कर्मचारी को वे सुविधाएं ही प्राप्त होती हैं, जो नियुक्ति के समय शर्तों में शामिल होती हैं. ठीक उसी प्रकार शोधार्थियों के एनरॉल्मेंट के समय यूजीसी के जो नियम-परिनियम थे, उन्हीं के तहत उनकी पीएचडी पूरी करायी जायेगी.
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दूसरी ओर कॉमर्स संकाय के हेड डॉ एपी वर्मा ने कहा कि यदि कुलसचिव ने ऐसा कहा है, तो यह बिल्कुल गलत है. उन्हें कोई फायदा नहीं लेना है. बल्कि वे शोधार्थियों का फायदा देख रहे हैं. इसके लिए यूजीसी पीएचडी गाइडलाइन 6.2 देखा जा सकता है. इस मसले पर कुलपति ने इस मसले पर निर्णय ले लिया है और निर्देश भी जारी कर दिया है. इसके अलावा किसी भी शोधार्थी ने उनके अधीन शोध के लिए आवेदन नहीं किया है और न ही उन्हें किसी शोधार्थी का गाइड बनना है.
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निलंबित शिक्षक का निलंबन होगा वापस
दूसरी ओर विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया है कि निलंबित शिक्षक का निलंबन जल्द ही वापस लिया जायेगा. गबन के मामले में गिरफ्तारी के पश्चात वे जेल भी जा चुके हैं. इसके अलावा आगामी एक दो महीने में वे सेवानिवृत्त होनेवाले हैं. इसके मद्देनजर आगामी सिंडिकेट मीटिंग में प्रस्ताव प्रस्तुत कर उनका निलंबन वापस लेने पर विश्वविद्यालय विचार कर रहा है, ताकि उन्हें सेवानिवृत्ति का लाभ मिल सके.
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क्यों हो रही दो बार डीआरसी ?
कई शोधार्थियों को विश्वविद्यालय की ओर से दोबारा या तीसरी बार डीआरसी के लिए कहा जा रहा है. इससे शोधार्थी खासे परेशान हैं. इस संबंध में विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया है कि उनकी डीआरसी के दौरान उपस्थित डीन के अलावा अन्य सदस्यों में से कुछ ने हस्ताक्षर किये हैं और कुछ ने नहीं किये हैं. इस वजह से उनकी डीआरसी मान्य नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि उन्हें पुनः डीआरसी के लिए कहा जा रहा है.
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