Ranchi: 27 मई को लगातार ने “जिस सीओ सुनीता कुमारी के निलंबन का आदेश CM ने दिया, उसे विभाग के संयुक्त सचिव अभिषेक श्रीवास्तव ने ज्वाइन कराया” और 28 मई को “तबादला होने के बाद भी आखिर कैसे संयुक्त सचिव अभिषेक श्रीवास्तव भू-राजस्व विभाग में ही हैं जमे” शीर्षक से दो खबरें लिखीं. एक जून को खबर का असर हुआ है. दरअसल भू-राज्सव विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर जमे अभिषेक श्रीवास्तव का सात अप्रैल को ही तबदाल हो गया था. उन्हें जामताड़ा जिले परियोजना निदेशक बनाया गया. लेकिन एक तारीख तक वो भू-राजस्व विभाग में ही जमे रहे.
विभाग में अभिषेक श्रीवास्तव सीओ और रजिस्ट्रार के स्थापना, आरोप, बजट और विधानसभा का काम देखते हैं. एक तारीख को उन्होंने विभाग को एक चिट्ठी लिखी. उन्होंने लिखा कि वो जामताड़ा अपना पदभार ग्रहण करने जा रहे हैं.
इसे भी पढ़ें –स्वास्थ्य विभाग : सचिव के पीए के तबादले के लिए मंत्री बन्ना ने पहले कार्मिक को लिखा पत्र, अब कह रहे नहीं हो ट्रांसफर
निलंबित CO सुनिता कुमारी को इन्होंने ही ज्वाइन कराया था
25 मार्च को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से तत्कालीन गिरिडीह जिले के सरिया अंचल की सीओ सुनिता कुमारी के निलंबन के आदेश को स्वीकृति दे दी जाती है. लेकिन 18 मार्च को ही सुनिता कुमारी का तबादला गिरिडीह से लातेहार हो जाता है. निलंबन के आदेश के बाद सुनिता कुमारी हेरहंज अंचल पद भार ग्रहण करने पहुंची. लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री के आदेश का हवाला देकर ज्वाइन नहीं करने दिया गया. जिसके बाद भू राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव अभिषेक श्रीवास्तव ने लातेहार डीसी को एक पत्र लिखा. पत्र में लिखा कि सुनिता कुमारी को हेरहंज सीओ का पदभार ग्रहण नहीं करने दिया जा रहा है.
आगे उन्होंने डीसी को लिखा कि मुख्यमंत्री के प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर झारखंड सरकार के स्तर से कोई विभागीय चिट्ठी निर्गत नहीं की गयी है. जिससे स्पष्ट हो कि सुनिता कुमारी निलंबित हैं. उन्होंने डीसी को लिखा कि सुनिता कुमारी को हेरहंज अंचल के सीओ के पदभार को ग्रहण करने दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो सुनिता कुमारी के प्रभार रहित अवधि के वेतन भुगतान की पूरी जिम्मेदारी आपकी (डीसी) की होगी.
इसे भी पढ़ें –आउटसोर्सिंग पर बहाल नर्सों का हंगामा, एक साल के लिए नियुक्ति की बात कह एक महीने काम करवाने के बाद हटाने का दबाव
गिरिडीह के निवर्तमान सीओ रविन्द्र कुमार सिन्हा को भी विभागीय अधिकारियों द्वारा बचाया गया,जिनपर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं।नीचे से ऊपर सभी संलिप्त हैं।लगातार शिकायत के बावजूद गलत जाँच कर रिपोर्ट समर्पित की गई।झारखंड के सबसे भ्रष्ट विभाग है।लोकायुक्त के न्यायालय में मामला पेंडिंग है।