Sunil Kumar

Latehar: सीसीएल की महत्वकांक्षी मगध-आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट में परिवहन के नाम पर बड़ा घोटाला पिछले कई महीनों से किया जा रहा है. आरोप है कि सीसीएल के आला अधिकारियों की मिलीभगत से हिन्ड्रेन्स रजिस्टर रखने के प्रावधानों का अवैध ढंग से इंट्री करके परिवहन कर्मियों के द्वारा अनुचित लाभ उठाया जा रहा है. पेनाल्टी ना लगे इसके लिए ट्रांसपोर्टर अपने चहेते ग्रामीणों को उकसा कर कुछ सुनियोजित हिन्ड्रेन्स करवा करके हिन्ड्रेन्स रजिस्टर में शिकायत दर्ज करा देते हैं. जिनके कारण उन्हें एनआईटी के प्रोविजन के उल्लंघन होने पर भी सीसीएल पेनाल्टी नहीं करता है. मालूम हो हिन्ड्रेन्स रजिस्टर सीसीएल के द्वारा साइडिंग और स्टॉकयार्ड में रखा जाता है, जिसकी एंट्री को सीसीएल कर्मियों के द्वारा वेरीफाई किया जाता है. इनकी मिलीभगत से बिना हिन्ड्रेन्स के भी एक षड्यंत्र के तहत एंट्री दिखाकर परिवहन कंपनी के द्वारा अनुचित लाभ उठाया जाता है.
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सेहत का ध्यान रखने का प्रावधान लेकिन नहीं होता कोई उपाय
मालूम हो सीसीएल के द्वारा लोडिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन के लिए 4 वर्षों की अवधि निर्धारित की गयी है. सरफेस स्टॉक यार्ड पर ठेकेदारों को लोडर द्वारा ट्रिपिंग ट्रक पर कोयले की लदाई किया जाना है. इंजीनियर इंचार्ज के द्वारा दोनों छोर पर वजन करते समय ट्रक पर लदे कोयला को ढंककर परिवहन की जांच करना है. इतना ही नहीं ट्रांसपोर्टर को ट्रांसपोर्ट रोड पर हमेशा पानी का छिड़काव करना है ताकि धूल नहीं उड़े और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े. इन सारी सेवा के लिए सीसीएल ने मगध आम्रपाली क्षेत्र के आम्रपाली कोल स्टॉक यार्ड से शिवपुर रेलवे साइडिंग तक आवंटित इस कार्य के लिए 25 करोड़ 90 लाख 36 हजार ₹80 की खर्च का प्रावधान किया गया है.
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आमलोगों के लिए नहीं बनाया गया सेफ्टी तंत्र
इंजीनियर इंचार्ज और सीसीएल की मिलीभगत से कंपनी के द्वारा ना तो पानी का छिड़काव किया जाता है और ना ही आमजन के हितार्थ कोई सेफ्टी तंत्र का उपयोग किया जाता है. सच कहा जाए तो इस परिवहन में आरके टीसीएल – बीएलए पीपीएल की ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने बड़ा खेल जारी रखा है. सीसीएल के अधिकारियों के द्वारा भी इनके अनुचित कार्य पर रोक नहीं लगाई जा रही है, नतीजतन ये बेखौफ सरकार को जहां करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं. वहीं आम जनता के स्वास्थ्य के साथ भी भारी खिलवाड़ कर रहे हैं. शिवपुर साइडिंग का मामला कोई नया नहीं है. पिछले वर्ष 2021 से अगले 4 वर्षों के लिए संपादित इस टेंडर में कुल 1022 लाख टन कोयला ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है. महज 6 से 7 किलोमीटर दूरी वाली इस परिवहन का लक्ष्य को भी कंपनी पूरा नहीं कर पा रही है जो गंभीर जांच का विषय है.
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