Latehar : 51 साल पहले मंडल डैम की बुनियाद रखी गयी थी. लेकिन रख रखाव के अभाव में भी देखा गया. इसी का सर्वेक्षण करने के लिए दिल्ली से केंद्रीय टीम लातेहार पहुंची है. लातेहार डीसी अबु इमरान और गढ़वा डीसी राजेश पाठक ने टीम का स्वागत किया. यहां बता दें कि बरवाडीह के मंडल गांव में कई सालों से मंडल डैम परियोजना बंद पड़ी थी. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 में ही इसे फिर से चालू करने का निर्देश दिया था.
जिससे वहां के ग्रामीणों में आस जगी थी. अब केंद्रीय टीम के आने के बाद एक बार फिर से उम्मीद जगने लगी है क्योंकि 23 साल पहले नक्सलियों ने मंडल डैम के इंजीनियर की हत्या कर दी थी. उसके बाद से ही मंडल डैम परियोजना का काम बंद हो गया था. मंडल डैम परियोजना का काम शुरू होते ही मंडल गांव के साथ ही बरवाडीह में भी विकास हो रहा था. लोग भी इससे बहुत खुश थे. लेकिन इंजीनियर की हत्या के बादही काम बंद हो गया और विकास की गति भी वहीं रूक गयी.
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मंडल डैम परियोजना क्या है
बता दें कि मंडल डैम परियजना की शुरूआत 1970 में की गई थी. इस परियोजना का उदेश्य बिहार व झारखंड में हरितक्रांति लाना था. क्योंकि डैम के चालू होते ही बिहार व झारखंड के हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई का काम होता. अब जब डैम का निरीक्षण कार्य फिर से शुरू हुआ है तो एक आस सबमें जगी है.
हालांकि इससे पहले साल 2015 में 13 जुलाई को मंडल डैम चालू करने के लिए निरीक्षण किया गया था. बिहार और झारखंड का सांसद भी निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. जो सासंद पहुंचे थे उनमें झारखंड से पलामू सांसद बी.डी. राम,चतरा सांसद सुनील सिंह व मनिका विधायक हरिकृष्ण सिंह थे. जबकि बिहार से जहानाबाद सांसद हरि मांझी, गया सांसद अरूण कुमार, औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिहं के अलावा काराकट सांसद उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद थे. निरीक्षण के दौरान सांसदों के साथथ इंजीनियरों की टीम भी मौजूद थी. इसके बाद 20 जुलाई को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर भी मंडल डैम के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. उन्होंने उस दौरान डैम को चालू करने की बात भी कही थी.
पीएम मोदी ने किया था 3 साल पहले शिलान्यास
यहां बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 साल पहले मंडल डैम का फिर से शिलान्यास कियाथा. इस डैम केनिर्माण में अब 1622 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. साल 1970 में इस परियोजना की अनुमानित राशि 30 करोड़ रुपये थी. जिसमें से 44000 एकड़ कमान क्षेत्र में सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक संस्थानों के लिए जल आपूर्ति के साथ ही 24 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की योजना बनायी गयी थी. इस डैम के लिए योजना आयोग की ओर से 1989 में ही स्वीकृति दी गयी थी. लेकिन मंडल डैम का निर्माण 1972-73 में शुरू हुआ. डैम के निर्माण की राशि 1985 में पुनरीक्षित कर 439 करोड़ रुपये कर दी गयी थी. जो बाद में बढकर 581 करोड़ हो गया था.
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