Ashish Tagore
Latehar: बहुप्रतिक्षिति बरवाडीह-चिरीमिरी रेल लाइन परियोजना के लिए रेलवे मंत्रालय ने इस वर्ष बजट में राशि आवंटित की है. इसे लेकर यहां के लोगों मे खुशी देखी जा रही है. लोगों को अब लगने लगा है कि बरवाडीह-चिरीमिरी रेल परियोजना बनकर अब तैयार होगा. बता दें कि इस परियोजना को चालू कराने को लेकर सांसद सुनील सिंह ने संसद में मांग उठायी थी. उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व रेल मंत्री से भी मुलाकात की थी. इस रेलवे परियोजना का डीपीआर तैयार करने के लिए गत महीने सर्वे का कार्य प्रारंभ किया गया था.
जानिए बरवाडीह-चिरीमिरी रेल लाइन के बारे में
बरवाडीह- चिरीमिरी रेल लाइन का निर्माण हो जाने से हावड़ा-मुंबई के बीच की दूरी 300 किलोमीटर कम हो जायेगी. चिरीमिरी से विश्रामपुर (छत्तीसगढ़) 129 किलोमीटर रेलखंड वर्ष 1962 से ही परिचालन में है. विश्रामपुर से अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) तक 19 किलोमीटर रेल लाइन पूरी कर ली गयी है. अंबिकापुर से बरवाडीह तक 182 किलोमीटर रेल लाइन को पूरा करना है. इस लाइन के बनने से मुंबई-हावड़ा के बीच तीसरी सीधी रेलवे लाइन हो जाएगी. वर्तमान में मुंबई-हावड़ा के बीच इलाहाबाद और बिलासपुर, रायपुर, नागपुर होते हुए दो रेल लाइनें हैं.
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83 साल पहले अंग्रेजों ने बनाई थी योजना
वर्ष 1935-36 में ब्रिटिश सरकार ने इस रेल लाइन की योजना खनिज परिवहन के लिए बनाई थी. अंग्रेज मानते थे कि इस रेल रूट पर बड़े पैमाने पर कोयला और बाक्साइट की खदानें हैं और वे इसका आसानी से परिवहन किया जा सकता है. वर्ष 1940-41 से काम शुरू हुआ और वर्ष 1946 तक काम चला. बरवाडीह से छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सरनाडीह तक जमीनी कार्य पूरा करा लिया गया था. यहां तक कि चनान व कन्हर नदी पर पुल निर्माण के लिए खंभे भी लगा दिये गये थे. लेकिन आजादी के बाद अंग्रेज चले गये और तभी से इस परियोजना को ग्रहण लग गया. बाद की सरकारों ने इसे अव्यवहारिक व अलाभप्रद मान कर ठंडे बस्ते में डाल दिया था. हालांकि इस रेल परियोजना को पूरा करने की मांग बराबर उठती रही.
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