Ranchi: स्वास्थ्य विभाग की ओर से इंटीग्रेशन ऑफ मेंटल हेल्थ सर्विसेज फॉर लेप्रोसी पेशेंट को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान एडिशनल डायरेक्टर डॉ अनिल कुमार ने बताया कि लेप्रोसी एक बैक्टेरिया से होता है. इसे छह से नौ महीने के दवा के कोर्स से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि दो तरह की लेप्रोसी होती है. एक में छह महीने के कोर्स से लेप्रोसी ठीक हो सकता है. वहीं दूसरे में नौ से 12 महीने की दवा खानी पड़ती है. पर इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.
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बता दें कि झारखंड में वर्तमान में करीब 5442 लेप्रोसी के चिन्हित मरीज हैं. अधिकारियों ने जानकारी दी कि दो दिवसीय कार्यशाला में कुष्ठ रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना है. कार्यशाला में यह प्लान तैयार किया जा रहा है कि कैसे कुष्ठ रोगी जो मानसिक तौर पर परेशान हैं उन्हें चिन्हित किया जाएगा. साथ ही उनकी काउंसलिंग की जाएगी. झारखंड से इस प्रोग्राम की शुरुआत की जा रही है.
ठीक हो चुके मरीजों को बनाया जाएगा लेप्रोसी चैंपियन
प्रेस वार्ता के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि लेप्रोसी से ठीक हो चुके मरीजों को ही लेप्रोसी चैंपियन बनाया जाएगा. इन्हीं के स्तर से फिर अन्य मरीजों की काउंसलिंग की जाएगी. उन्होंने बताया कि जैसे टीबी चैंपियन ब्लॉक स्तर पर काम कर रहे हैं, ठीक उसी तरह ब्लॉक स्तर पर लेप्रोसी चैंपियन काम करेंगे. उन्होंने बताया कि जो खुद बीमार रहा है, लड़कर ठीक हुआ है वही लोगों को ठीक से समझा पाएगा. इसलिए इन्हें ही काउंसेलर के तौर पर सामने लाया जाएगा.
सर्जरी कराने वाले को 12 हजार दी जाएगी प्रोत्साहन राशि
जानकारी दी गई कि लेप्रोसी के वैसे मरीजों को भी चिन्हित किया जाएगा जिन्हें सर्जरी की जरूरत है. ऐसे मरीजों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 12 हजार रूपये भी दिए जाएंगे. बताया गया कि अब तक इस साल 82 आरसीएस किया जा चुका है. राज्य के कुल छह संस्थानों में लेप्रोसी सर्जरी की निशुल्क सर्जरी की जा रही है. जिसकी शुरुआत रांची के सदर अस्पताल से की गई थी.