- जेवीएम ने दी थी 151 लोगों की लिस्ट, सिर्फ 4 को ही मिल पाया प्रमुख पद
- आत्मसम्मान बचाने के लिए जेवीएम कार्यकर्ताओं ने बीजेपी ऑफिस आना छोड़ा
Ranchi: बाबूलाल मरांडी के साथ बीजेपी में आये जेवीएम के नेता और कार्यकर्ता अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. जेवीएम का बीजेपी में विलय होते ही जेवीएम के कार्यकर्ताओं ने तन-मन से बीजेपी के अपना लिया, लेकिन बीजेपी अबतक उन्हें अपना नहीं पाई है. बीजेपी में विलय के समय जेवीएम ने 151 लोगों की लिस्ट बीजेपी को सौंपी थी, लेकिन जेवीएम से आये 10 नेताओं को भी बीजेपी में पद और जिम्मेदारी नहीं दी गई. सिर्फ 4 नेताओं को ही संगठन में उचित सम्मान मिला है. इनमें पहले बाबूलाल मरांडी हैं, जिन्हें बीजेपी ने विधायक दल का नेता बनाया है. जेवीएम में केंद्रीय उपाध्यक्ष रहे बिनोद शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं जेवीएम में महासचिव रहे सरोज सिंह को बीजेपी में प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई है. अभय सिंह जेवीएम में प्रधान महासचिव थे उन्हें धनबाद जिला का प्रभारी बनाया गया है.
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प्रवक्ता बना दिये गये, लेकिन 3 महीने से कुछ नहीं बोला
जेवीएम से बीजेपी में आये नेताओं में सिर्फ बाबूलाल मरांडी ही बीजेपी में एक्टिव दिख रहे हैं. उपाध्यक्ष बिनोद शर्मा बीजेपी दफ्तर में कभी-कभार ही दिखाई देते हैं. वहीं प्रदेश बीजेपी ने प्रवक्ता सरोज सिंह का कोई बयान पिछले 2-3 महीनों में जारी नहीं किया है. बीजेपी में आने के बाद कुछ नेताओं को पद तो दे दिया गया, लेकिन पार्टी के अंदर कुछ नेता और कार्यकर्ता उन्हें पचा नहीं पा रहे. लगातार बीजेपी के अंदर इनके खिलाफ लॉबिंग चल रही है. जेवीएम के जिन पदाधिकारियों को पद मिला है वो कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी के साथ राजनीति शुरू की है. उन्हें आदर्श मानते हैं इसलिए उनके साथ हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें अपनाने को तैयार नहीं है. बीजेपी के कुछ पदाधिकारी जेवीएम से आये लोगों पर हावी हैं. आये दिन पार्टी के कायदे-कानून का पालन करने की नसीहत देते हैं. किसी मुद्दे पर बयान देने से पहले कुछ खास लोगों की अनुमति की जरूरत पड़ती है. वे यहां घुटन महसूस कर रहे हैं.
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दल में जगह मिल गई, दिल में कब मिलेगी जगह ?
बाबूलाल मरांडी के साथ बीजेपी में आये कार्यकर्ता कहते हैं कि उन्हें बीजेपी में उचित सम्मान नहीं मिल रहा. बीजेपी ने प्रदेश कार्यसमिति, मंच, मोर्चा कहीं जगह नहीं दिया. बीजेपी के नेता कम से कम दिल में जगह दे देते यही उनके लिए बड़ा सम्मान होता. जेवीएम में बाबूलाल के करीबी रहे लोगों की भी अब बाबूलाल मरांडी से मुलाकात नहीं हो पाती है. अपनी उपेक्षा से दुखी होकर कई कार्यकर्ताओं ने आत्मसम्मान बचाने के लिए अब बीजेपी दफ्तर ही आना छोड़ दिया है. जिन लोगों को पद और जिम्मेदारी दी गई है वो लोग भी तभी बीजेपी दफ्तर में दिखाई देते हैं जब बाबूलाल मरांडी वहां मौजूद हों.