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Ranchi : झारखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए झारखंड सरकार ने स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान के साथ-साथ सभी तरह के ट्रेनिंग संस्थान, ITI, आंगनबाड़ी केंद्र और आगामी सभी तरह की परीक्षाएं अगले आदेश तक स्थगित कर दी हैं.
कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में छाए आर्थिक संकट का असर कोचिंग संस्थानों और इससे जुड़े लोगों पर भी पड़ रहा है. इन कोचिंग संस्थानों की वजह से यहां बड़ी संख्या में राज्य के छात्रों के अलावा आस-पास राज्यों से भी छात्र आते हैं. ये कोचिंग संस्थान सिविल सेवाओं की परीक्षा के अलावा बैंकिंग, SSC , इंजीनियरिंग-मेडिकल सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं. कुछ संस्थान छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प दे रहे हैं और कुछ ने इसकी शुरुआत भी कर दी है, लेकिन अभी ऑनलाइन पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बेहद कम है.
क्या कहना है कोचिंग-संस्थानों के संचालकों का
कुछ कोचिंग संचालकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें कुछ सहूलियतें दी जाएं ताकि इस कार्य से जुड़े लोगों के सामने आए आर्थिक संकट से बच सकें. सैकड़ों की संख्या में यहां कोचिंग संस्थान हैं. आय का स्रोत सिर्फ छात्र हैं. संस्थानों का कहना कि जल्दी कोई उम्मीद भी नहीं है कि कोचिंग खुले और बच्चे पढ़ने आने लगें. शहर में सारे कोचिंग संस्थान बंद हो गए हैं. छोटे कोचिंग संस्थानों का कहना है कि जो बड़े संस्थान हैं, वो कुछ दिनों तक तो ख़ुद को बचा लेंगे, लेकिन ऐसे में ज्यादा दिनों तक हमारा घर चलाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि कुछ संस्थानों ने कहा कि अभी कोरोना की बढ़ती रफ्तार थोड़ी कम हो, जिसके लिए जरूरी है कि संस्थान बंद रहें ताकि छात्र सुरक्षित रहें.
महिन्द्रा कोचिंग सेंटर के संचालक संतोष कुमार का कहना है कि पैसों की दिक्कतें और बिल्डिंग का किराया देना मुश्किल हो जाता है, लेकिन संक्रमण से बचना भी उतना ही जरूरी है, परिस्थिति ऐसी है कि कोचिंग खोलने को लेकर विरोध भी नहीं कर सकते हैं, बच्चे घर पर रहकर ऑनलाइन ही क्लास करें और सुरक्षित रहें.
कोचिंग-सेंटर से सैकड़ों लोगों को मिलते हैं रोजगार
कोचिंग संस्थानों की वजह से इस शहर में सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है. यहां लगभग विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले यहां 200 से 250 कोचिंग संस्थान हैं. यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों से लेकर अन्य काम कर रहे स्टाफों का कहना है कि हमारा आर्थिक आमदनी छात्रों पर ही टिकी हैं, उनसे ही हमारा घर चलता है.
ललित पासवान, जो कि पिछली लॉकडाउन में सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी छूट जाने के बाद कोचिंग-संस्थान में ऑफिस बॉय का काम कर रहे थे, परिवार चलाने और पढ़ाई करने के लिए वेतन पर पूरी तरह से निर्भर थे, फिर से कोचिंग संस्थान बंद होना उनके लिए एक बड़ा झटका है. ललित कहते हैं, मुझे अंदाजा था कि कोरोना के बढते संक्रमण से कोचिंग में छात्र बहुत कम आएंगे, लेकिन यह अंदेशा नहीं था कि मेरी नौकरी ही चली जाएगी.
कोचिंग संस्थान में रिसेप्शनिस्ट का जॉब कर रहीं M.A. पास अर्चना कहती हैं कि बेरोजगारी इतनी है कि जॉब मिलना मुश्किल है. रांची में रहने और पढाई के खर्चे उठाने के लिए मैं रिसेप्शननिस्ट का जॉब कर रही थी. कोचिंग बंद हो गया. घर पर बैठे हैं. संस्थान कब खुलेंगे इसका अंदाजा नहीं है. साथ ही अर्चना कहती हैं कि जॉब चले जाने का दुख है पर एक सुकून भी है कि हर दिन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के डर से मुक्ति मिल गई है.
कई लोगों की जॉब ही चली गई
नौकरी जाने का तनाव और महामारी का डर दोनों उन्हें परेशान करता है. नौकरी न रहने पर परेशानी होना बेहद स्वाभाविक है, लेकिन वायरस को लेकर आजकल के बेहद अनिश्चितता के माहौल में नौकरी जाना लोगों के लिए और भी ज्यादा तनावपूर्ण है.
कोचिंग संस्थान के साथ दुकानें भी होने लगीं बंद
लालपुर, प्लाजा चौक के इलाके छात्र-छात्राओं से भरे रहते थे. कोचिंग संस्थान और कॉलेज के बंद होने और छात्रों के जाने के बाद यहां की दुकानें भी बंद होने लगी हैं. प्लाजा चौक में फास्ट फूड की दुकान चलाने वाले मुकेश का कहना है कि जब छात्र ही नहीं हैं तो दुकान खोलकर क्या करेंगे, आसपास की सारी दुकानें बंद हो गई हैं और अब बिक्री भी ठप पड़ गई है.