Dhanbad: शहर में गुरुवार को 13 जनवरी को पंजाब की सौंधी खुशबू तब फैल उठी, जब कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सिख समुदाय ने धूमधाम से लोहड़ी का त्योहार मनाया. शक्ति मंदिर कमिटी के संयुक्त सचिव सुरेंद्र अरोड़ा ने बताया कि 30 साल से लोहड़ी पर्व धनबाद के शक्ति मंदिर में मनाया जाता है. हर वर्ष इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण कमिटी के सदस्य ही इसमें मौजूद रहेंगे.
पंजाब के किसानों का प्रसिद्ध त्योहार
बड़ा गरुद्वारा कमिटी के सदस्य सतपाल सिंह ब्रोका कहते हैं कि लोहड़ी पर्व पंजाब के किसानों को लोग घरों में भी मनाते हैं. शादी होती है या संतान की प्राप्ति होती है तो लोग इस पर्व पर परिवार में खुशियां बांटते हैं. पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा विशेष त्योहार है. इस दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती है.
गुरुद्वारा में विश्व शांति के लिए अरदास
सिख वेलफेयर सोसाइटी झारखंड के अध्यक्ष सेवा सिंह ने बताया कि जामाडोबा एरिया 2/3/4 में अभी भी बडी संख्या में लोग लोहड़ी का पर्व मनाते हैं. उन्होंने कहा कि संबंधित गुरुद्वारा में लोग विश्व शांति तथा आपसी भाईचारा को लेकर सुबह और शाम अरदास करते हैं.
तिल और मूंग डाल कर अग्नि की परिक्रमा
उषा किरण ने बताया कि पारंपरिक तौर पर लोहड़ी पंजाब में नई फसल की कटाई और बुआई के लिए मनाई जाती है. पंजाब का यह त्योहार है. आज के दिन आग में तिल और मूंग फली डालकर अग्नि की परिक्रमा करते हुए सुखी व गृहस्थ जीवन के लिए कामना करते हैं. यह सामुहिक रूप से भी मनाया जाता है.
पारंपरिक गीत के बिना त्योहार अधूरा
लोहड़ी का त्योहार बिना गीत के अधूरा माना जाता है. बच्चे हों या फिर बड़े सभी लोहड़ी त्योहार पर पारंपरिक लोक गीतों को आग के आस पास घूम-घूम कर और घर-घर जा कर गाते हैं. इन गीतों में “दुल्ला भट्टी” का नाम भी शामिल होता है. घरों में लोहड़ी पर मांगने का रिवाज होता है. कहा जाता है कि बिना पारंपरिक गीतों के यह त्योहार अधूरा रहता है.
ये हैं लोहड़ी के फेमस पारंपरिक गीत
सुंदर मुंदरिये.. हो, तेरा कौन बेचारा..हो, दुल्ला भट्टी वाला ..हो, दुल्ले घी व्याही..हो, सेर शक्कर आई…हो,कुड़ी दे बाझे पाई…हो, कुड़ी दा लाल पटारा…हो
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