एनजीटी की रोक के बावजूद खनन माफिया की चांदी
Dinesh Kumar Pandey
Bokaro : बोकारो जिले में बालू के अवैध खनन का धंधा जोरों पर है. इसे क्या कहें बालू की लूट या फिर खनन विभाग द्वारा दी गई छूट. बता दें कि बोकारो में एक तरफ प्रशासन अवैध खनन रोकने के लिए मुहिम चला रखा है. अधिकारियों को लगातार इसके लिए निर्देशित किया जा रहा है. तो दूसरी ओर हर दिन अहले सुबह 4:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक सड़कों पर बालू लेकर सरपट दौड़ते ट्रैक्टर नजर आ रहे हैं. लेकिन यह प्रशासनिक अधिकारियों को दिखाई ही नहीं देता है. लिहाजा बालू का अवैध खेल बदस्तूर जारी है. खनन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हर दिन उनके अधिकारी अवैध खनन के खिलाफ सड़क पर निकलते हैं तथा कार्रवाई करते हैं. अब सवाल यह है कि जब अधिकारी कार्रवाई करते हैं तो क्या अवैध बालू खनन में लगे माफियाओं को विभाग से डर नहीं है या फिर विभाग का मौन समर्थन उन्हें प्राप्त है ?
कैसे चल रहा है भवनों का निर्माण ?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब बालू खनन पर रोक है तो निजी कंस्ट्रक्शन तो छोड़िए, सरकारी भवनों का काम कैसे चल रहा है. बोकारो में दो थाना क्रमश: बालीडीह और चास मुफस्सिल का बिल्डिंग लगभग बनकर तैयार हो गया है. दिन रात काम चल रहा है. आखिर क्या बिना बालू के ही दीवार खड़े हो गए ? या फिर बालू कहीं बाहर से यहां मंगाए जाते हैं? इस सवाल का जवाब प्रशासनिक अधिकारी भी देने से कतरा रहे हैं. जब शुभम संदेश और लगातार डॉट इन की टीम ने इस मामले की पड़ताल शुरू की, तो जिला खनन पदाधिकारी रवि कुमार ने इस सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया.
नदियों में भूस्खनन का खतरा
बता दें कि अवैध खनन के कारण कई नदियों में भूस्खलन का खतरा भी मंडराने लगा है. लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है. कई मजदूरों की जिंदगी भी दांव पर लगी है. किसी भी दिन हादसा हो सकता है. बालू खनन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जा रही पहल पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. चूंकि खनन जेसीबी मशीन से किया जाता है, जमीन के अंदर से बालू निकाला जा रहा है.
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एनजीटी ने लगायी है रोक
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू उठाव पर रोक लगी हुई है. यहां तक की एनजीटी ने जो निर्देश दिया है, उन निर्देशों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है. एनजीटी की रोक के बावजूद बालू का खनन बदस्तूर जारी है. वहीं एनजीटी के नियमों को पालन कराने में भी जिला प्रशासन विफल साबित हो रहा है.
हरला थाना क्षेत्र बना माफियाओं के लिए सेफ जोन
हरला थाना क्षेत्र बालू माफियाओं के लिए सेफ जोन के रूप में इस्तेमाल हो रहा है. बालू माफियाओं की गाड़ियां हरला थाना क्षेत्र होते बोकारो पहुंचती है. लेकिन हरला पुलिस की नजरें बालू लदे गाड़ियों पर नहीं पड़ती, जिसके कारण हरला पुलिस पर भी अब सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. थाना प्रभारी गजेंद्र पांडे ने कहा कि बालू माफियाओं के खिलाफ तेजी से काम हो रहा है और उनकी गाड़ियों की धरपकड़ के प्रयास जारी है.
बोकारो में है 38 बालू घाट
जिला में 2015-16 तथा 2017-18 में 38 बालू घाटों की नीलामी हुई थी. इनमें से 35 घाटों की अवधि जुलाई 2019 में समाप्त हो गई थी, जबकि 3 घाट का समय नवंबर 2019 में समाप्त हो गया है. यानी बोकारो में फिलहाल एक भी बालू घाट चलाने की अनुमति नहीं है. जिला प्रशासन ने बालू घाट के स्टॉक के लिए दो सेंटरों को चिन्हित किया था, जिसमें बेरमो अनुमंडल के खेतको तथा चास अनुमंडल के चंदनकियारी शामिल है. बता दें कि खेतको का बालू स्टॉक पहले ही समाप्त हो गया था, जबकि चंदनकियारी का स्टाक भी लगभग समाप्त हो चुका है. ऐसे में बालू कहां से बोकारो आता है. यह पता भले किसी को नहीं है लेकिन सच्चाई है कि दामोदर नदी समेत कई घाटों से अवैध रूप से बालू का उठाव बदस्तूर जारी है.
फोन नहीं उठाते हैं खनन पदाधिकारी
बोकारो के जिला खनन पदाधिकारी रवि सिंह फोन नहीं उठाते हैं. उनके मोबाइल फोन संख्या 9122409404 एवं 8797773041 पर हमारे बोकारो ब्यूरो ने उनका पक्ष जानने के लिए फोन भी किया,लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. उनका पक्ष आते ही हम उनकी बातों को भी प्रमुखता से लगायेंगे. बता दें कि बालू खनन से जुड़े गाड़ियों को देखकर यदि कोई सूत्र उन्हें सूचना देना चाहे तो वे फोन नहीं उठाते, यह शिकायत भी आती रहती है.
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