RANJIT KUMAR SHARMA
Jamshedpur : जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के हुरलुंग पंचायत में स्वर्णरेखा नदी के किनारे लुपुंगडीह गांव है. यहां लगभग तीन साल पहले भारत आयुष्मान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण सरकार ने करवाया था. लेकिन यह सफेद हाथी साबित हो रहा है. इसका लाभ लुपुंगडीह गांव या आसपास के गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है. इस सेंटर में महिला डॉक्टर और नर्स भी पदस्थापित हैं, लेकिन डॉक्टर शायद ही कभी सेंटर में आती हैं. डॉक्टर के नहीं आने की वजह से गांव वालों को इलाज के लिए प्राइवेट डॉक्टर, नर्सिंग होम या फिर लगभग 13 किलोमीटर दूर एमजीएम अस्पताल में जाना पड़ता है. इस सेंटर पर लुपुंगडीह गांव के लगभग 1200 लोग इलाज के लिए निर्भर हैं. इस गांव की एक महिला के पेट में काफी दर्द था. वह सेंटर के गेट पर खड़ी होकर दर्द से चिल्लाती रही और नर्स अंदर सोती रही. अंततः उसे काफी दूर निजी डॉक्टर के पास जाकर रुपए खर्च कर इलाज कराना पड़ा. आस-पास के गांव के लोग भी पूर्व में यहां इलाज कराने आते थे. लेकिन डॉक्टर के नहीं आने की वजह से लोग आते भी हैं तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. इस गांव में सबर जाति के लगभग 19 घर हैं. इनकी जनसंख्या लगभग 100 है. यहां निरीक्षण में कभी कोई सरकारी पदाधिकारी या सिविल सर्जन निरीक्षण में नहीं आते हैं. ग्रामीणों ने लगातार न्यूज से बताया कि डॉक्टर के नहीं रहने से गांव वालों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव की सहिया पुष्पा रानी महतो ने कहा कि इस सेंटर की इंचार्ज डॉक्टर राखी कुमारी हैं, लेकिन वे शायद ही कभी आती हैं. गांव वालों की तबीयत बिगड़ने पर निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, किसी क्लिनिक, खासमहल स्थित सदर अस्पताल या एमजीएम अस्पताल जाना पड़ता है. उद्घाटन से पूर्व सबर जाति की महिला को सेंटर में साफ-सफाई करने के लिए नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था. मालती सबर को नौकरी भी दी गई लेकिन कभी समय पर वेतन नहीं मिला. अब तो सेंटर बंद रहने की वजह से वह साफ-सफाई भी नहीं कर पाती है और वेतन भी नहीं मिलता है.
डॉक्टर नहीं आती हैं, कभी आती भी हैं तो ग्रामीणों को पता नहीं चलता : ग्राम प्रधान
लुपुंगडीह गांव के ग्राम प्रधान गंगाधर भूमिज हैं. गंगाधर ने बताया कि लगभग ढाई-तीन साल पहले इस सेंटर का उद्घाटन हुआ था. डीसी साहब के साथ कई पदाधिकारी आए थे. उद्घाटन के कुछ दिनों बाद तक सेंटर में महिला डॉक्टर आती थीं, दवाइयां भी मिलती थीं, लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर का आना-जाना बंद हो गया. कभी आती भी हैं तो किसी गांव वाले को पता नहीं चलता, क्योंकि गांव वाले भी मान चुके हैं कि यह सेंटर उनके लिए नहीं है. यहां हमेशा ताला लटका रहता है. यहां 24 घंटे नर्स रहती है, लेकिन वह दवा तक नहीं देती है.
एक नर्स है, वह भी सेंटर के गेट पर ताला लगाकर रखती हैं : चेतन लोहार
गांव के चेतन लोहार ने बताया कि कभी डॉक्टर नहीं आती हैं. एक नर्स प्रीति सिन्हा हैं, लेकिन वे मरीज के आने पर भी सेंटर के गेट पर ताला लगाकर रखती हैं. मरीज के आवाज देने या चिल्लाने पर भी नहीं खोलती हैं. यदि वे बाहर निकलती भी हैं तो दवा नहीं होने की बात कह कर वापस भेज देती हैं. पेट दर्द से मरीज तड़पता रहता है लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है.
सेंटर की सफाई के लिए काम पर रखा गया, लेकिन कभी 50 तो कभी 100 रुपए मिलते थे : मालती सबर
सेंटर खुलने के बाद साफ-सफाई करने वाली मालती सबर ने कहा कि शुरू में कुछ दिनों तक समय पर सेंटर खुलता था. डॉक्टर भी आती थी. बाद में सेंटर खुलना बंद हो गया तो वेतन भी नहीं मिलता है. जिस दिन सफाई करती थी उस दिन मेहनताना के रूप में कभी 50 रुपए तो कभी 100 रुपए प्रभारी देती थीं. वेतन तय नहीं किया गया. उनका वेतन भी बकाया है, जो अब तक नहीं मिला है. इलाज के लिए भी किसी तरह पैसों का इंतजाम कर निजी डॉक्टर के पास जाना पड़ता है.
जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक मंगल कालिंदी कल सेंटर का निरीक्षण कर ग्रामीणों से करेंगे बात
भारत आयुष्मान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर लुपुंगडीह के बंद रहने और ग्रामीणों को हो रही परेशानी के संबंध में पूछे जाने पर जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक मंगल कालिंदी ने कहा कि वे मंगलवार को सेंटर का निरीक्षण और ग्रामीणों से वार्ता करेंगे. उन्हें सेंटर के हमेशा बंद रहने की जानकारी नहीं थी. आज वे रांची जा रहे हैं. कल ही वे लुपुंगडीह गांव जाएंगे. वे ग्रामीणों से बात करने के बाद संबंधित पदाधिकारी से भी वार्ता कर उचित कार्रवाई के लिए कहेंगे.