Mumbai : उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बीच की तल्खी कम नहीं हो रही, बल्कि बढ़ती ही जा रही है. जान लें कि उद्धव ठाकरे उन्हें (शिंदे) लगातार गद्दार कहते रहे हैं. एकनाथ शिंदे ने मालेगांव की एक रैली में जो कहा, उससे लगता है कि शिंदे के सब्र का बांध अब टूट गया है. उन्होंने उद्धव ठाकरे का नाम लिये बिना कहा, अगर उनका मुंह खुला तो भूकंप आ जायेगा. शिंदे ने इस क्रम में 2002 में एक सड़क हादसे का शिकार बने शिवसेना नेता आनंद दिघे का जिक्र कर कहा, वो अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके साथ क्या हुआ था.
आनंद दिघे ही शिंदे को राजनीति में लेकर आये थे
बता दें कि दिघे को शिंदे का गुरु माना जाता है. कहा जाता है कि कि आनंद दिघे ही उन्हें राजनीति में लेकर आये थे. हालांकि शिंदे ने उद्धव का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने धरमवीर का जिक्र कर कहा कि वो इस बात के गवाह हैं कि उनके साथ क्या हुआ था. सीएम ने कहा कि कि मीडिया को जुटा कर अपनी बातें कहने लगे तो भूचाल आ जायेगा. कहा कि उनके दिमाग में केवल एक ही चीज है और वो है शिवसेना की बेहतरी और उसका विकास.
बाला साहेब की विचारधारा से समझौता करके सीएम बन बैठे थे
शिंदे ने आरोप लगाया कि कुछ लोग बाला साहेब की विचारधारा से समझौता करके सीएम बन बैठे थे. लेकिन अब वो उनकी सोच को बचाने के काम में जुटे हैं. कहा कि उनका गुट भाजपा के साथ मिलकर अगले चुनाव में 200 सीटें जीतेगा. शिंदे ने कहा कि वो पूरी शिद्दत से बाला साहेब के विचारों को क्रियान्वित करने में लगे हैं. उद्धव ठाकरे पर आरोप मढ़ा कि उन्होंने कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार बनाकर ने महाराष्ट्र के लोगों से धोखाधड़ी की. लोगों ने उन्हें वोट इसके लिए नहीं दिया था. लेकिन उद्धव ने कुर्सी की खातिर सब कुछ दांव पर लगा दिया.
बालासाहेब ठाकरे की विरासत बचाने के लिए बगावत की
शिंदे ने साफ किया कि शिवसेना के संस्थापक की पुत्रवधू स्मिता ठाकरे और उनके बड़े पोते निहार ठाकरे ने उनका समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि बागी विधायकों को गद्दार कहा जा रहा है. लेकिन आप उन्हें क्या कहेंगे जिन्होंने महज मुख्यमंत्री बनने के लिए बालासाहेब की विचारधारा से समझौता कर लिया. शिंदे ने कहा कि उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विरासत बचाने के लिए बगावत की. कुर्सी को हासिल करने के लिए यह सब नहीं किया.