Mumbai : शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस से अलग दूसरा गठबंधन खड़ा करना भाजपा को मजबूत बनाने जैसा होगा. अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने यह बात लिखी है. सामना में यह भी लिखा गया है कि नरेंद्र मोदी की भाजपा को आज एनडीए की जरूरत नहीं है लेकिन अभी भी विपक्ष के लिए यूपीए जरूरी है. बता दें कि सामना में छपा लेख कहता है कि ममता बनर्जी की राजनीति कांग्रेस के हिसाब से नहीं है.
पश्चिम बंगाल में उन्होंने कांग्रेस, लेफ्ट और भाजपा का सफाया किया. यह सही है लेकिन कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर राजनीति करना मौजूदा फासीवादी शासन को बल देने के समान है. मोदी और भाजपा चाहते हैं कि कांग्रेस पूरी तरह से ख़त्म हो जाये. शिवसेना का मानना है कि मोदी और भाजपा के खिलाफ लड़ने वाले लोगों का भी यह एजेंडा हो कि कांग्रेस ख़त्म हो जाये, यह बेहद ही खतरनाक है.
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यूपीए को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि जो लोग मजबूत विपक्ष चाहते हैं और दिल्ली की सत्ता से भाजपा को हटाना चाहते हैं, उन्हें यूपीए को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए. लेख के अनुसार यूपीए के नेतृत्व को लेकर ही पेंच फंसा हुआ है. जिन्हें कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए स्वीकार नहीं नहीं है, वे खुलकर अपनी बात रखें.
लेख में ममता बनर्जी पर हल्ला बोलते हुए कहा गया कि पर्दे के पीछे गप-शप न करें, क्योंकि इससे भ्रम और संदेह पैदा होता है. हालांकि लेख में ममता बनर्जी के दौरों को लेकर कहा गया है कि इससे विपक्षी दलों की गतिविधियां तेज हुई है. भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प खड़ा करना है, इसपर सब सहमत हैं लेकिन इसमें कौन कौन शामिल होंगे इसको लेकर अभी विवाद बना हुआ है.
सामना के लेख में प्रशांत किशोर को भी घेरा गया है. प्रशांत किशोर के उस बयान की आलोचना की गयी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को विपक्षी नेतृत्व के फैसले लेने का दैवीय अधिकार नहीं है. किसी भी व्यक्ति को दैवीय अधिकार नहीं मिला है. यूपीए नेतृत्व का दैवीय अधिकार ही भविष्य का फैसला करेगा. लिखा कि राजनीतिक घराने और खानदान के किले समय आने पर ढह जाते हैं.
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