Kiriburu : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) केन्द्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 27 नवंबर को छह राज्यों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बंदी की घोषणा की है. यह बंदी 15 नवंबर को कॉमरेड्स दीपक दा, महेश, लोकेश, दिलीप सहित मर्दनटोला के जंगल में वीरता से लड़ते हुए जान कुर्बान करने वालों की याद में किया जा रहा है. 13 नवंबर 2021 महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले के क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में अत्यंत दुखद दिन बनकर रह जाएगा. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ राज्यों के सरहदी जिला गढ़चिरोली के धनोरा तहसील के ग्यारापत्ती पुलिस थाने के दायरे के मर्दनटोला जंगल में हुई भीषण मुठभेड़ में पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य कॉमरेड मिलिंद बापूराव तेलतुंबडे उर्फ दीपक दा सहित 26 कॉमरेड शहीद हुए. उन्हें केंद्रीय कमेटी सिर झुकाकार विनम्रतापूर्वक क्रांतिकारी जोहार अर्पित कर रही है.
दीपक दा 1992 में बने पेशेवर क्रांतिकारी
कॉमरेड् दीपक दा का जन्म यावतमल जिले के वनि तहसील के राजूर गांव में एक गरीब मजदूर परिवार में बापूराव, अनसूया दंपत्ति की सातवीं संतान के रूप में हुआ था. हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद आईटीआई में प्रवेश लेकर उन्होंने फिटर का प्रशिक्षण प्राप्त किया था. उसके बाद उन्होंने पहले बल्लारपुर पेपर मिल में, फिर वेस्टर्न कोल फील्ड्स में नौकरी की. उस क्रम में ट्रेड यूनियन नेता के तौर वे उभरे. उस दौरान मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने कई जुझारू संघर्ष संचालित किए. उसी समय 1982 में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी, पीपुल्सवार) पार्टी के साथ उनका परिचय हुआ. मजदूर वर्ग के बीच में काम करते हुए क्रांतिकारी राजनीति में तपकर कॉमरेड मिलिंद 1992 में पेशेवर क्रांतिकारी बन गए थे. मजदूर आंदोलन में काम करने के दौरान 2000 में आयोजित पार्टी के महाराष्ट्र राज्य अधिवेशन में वे राज्य कमेटी सदस्य चुने गए थे. शहरों में मजदूरों, छात्र, युवाओं को उन्होंने कुशलतापूर्वक कई संगठनों में गोलबंद किया. पार्टी द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारियों के मुताबिक 2008 में उनका तबादला रणनीतिक इलाकों के आंदोलन में हो गया था. 2008 से 2021 के बीच उन्होंने विभिन्न स्तरों पर भारत के क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व किया.