Ranchi : श्रावण मास के चौथे और अंतिम मंगलवार 13 अगस्त को सुहागिनों ने मंगला गौरी व्रत रखा. सुहागिनों ने माता पार्वती और महादेव की नेम-निष्ठा से पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने घरों में पूजन-अनुष्ठान किया. साथ ही मंदिरों में भी बड़ी संख्या में व्रतधारियों ने दर्शन-पूजन कर श्रद्धा अर्पित की. सुहागिने अखंड सौभाग्य की कामना से भक्ति में रमी रहीं. माना जाता है कि इस व्रत को धारण करने वाली महिलाओं का सौभाग्य सदा बना रहता है. इस व्रत को करने से संतान की भी प्राप्ति होती है. जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बना रहता है.
लगातार पांच वर्षों तक मंगला गौरी व्रत रखना श्रेयश्रकर
सावन सोमवारी व्रत की तरह मंगला गौरी व्रत भी मंगलकारी है. इसी भाव से बड़ी संख्या में विवाहिताएं तो व्रत-उपवास कर माता को रिझाती ही हैं. कुंवारी कन्याएं भी विवाह संबंधी दोष-बाधा दूर करने और सुयोग्य वर की चाह में इस व्रत को धारण करती है. आचार्य अजय मिश्र बताते हैं कि सावन महीने का प्रत्येक मंगलवार मां पार्वती को समर्पित होता है. मंगला गौरी व्रत शुरू करने के बाद लगातार पांच वर्षों तक इस व्रत को रखना श्रेयश्रकर है. भगवान शिव के पवित्र माह में ही व्रत का उद्यापन भी किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि सावन सोमवारी के साथ इस व्रत को भी अवश्य धारण करना चाहिए. इससे मांगलिक दोष दूर हो जाते हैं.
[wpse_comments_template]