Praveen Kumar
Hazaribagh : एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में खनन और पर्यावरण कानून उल्लंघन के कई मामले सामने आ रहे हैं. कन्वेयर बेल्ट लगने के बाद भी सड़क मार्ग से कोल ट्रांसपोर्टिंग का काम जारी है. बिना किसी परमिशन के एनटीपीसी के द्वारा ऐसा किया जा रहा है. इसमें हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. परमिशन नहीं होने के बाद भी वन विभाग द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्त को ताक पर रख कंपनी को परमिट जारी किया जा रहा है. इतना ही नहीं 18 किलोमीटर के लिए 24 से 30 घंटे का परमिट जारी किया जा रहा है. इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा एनटीपीसी को 28 जून 2022 तक ही सड़क मार्ग से कोल ट्रांसपोर्टिंग की अनुमति दी थी. उसके बाद मंत्रालय की तरफ से सड़क मार्ग से कोल ट्रांसपोर्टिंग का कोई एक्सटेंशन आदेश एनटीपीसी के पास नहीं है.
कुछ भी बोलने से बच रहे एनटीपीसी के अधिकारी
28 जून 2022 के बाद सड़क मार्ग से कोयला परिवहन संबंधित एक्सटेंशन आदेश के संबंध में पूछने पर एनटीपीसी जनसंपर्क अधिकारी से 27 अक्टूबर 2020 का मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन भेज दिया. इस नोटिफिकेशन में पंकरी-बरवाडीह से बाणादाग तक कोई स्पेसिफिक सड़क मार्ग से कोयला परिवहन का निर्देश नहीं है. आदेश में ऐसा लिखा हुआ है कि रेल इंफ्रास्ट्रक्चर या कन्वेयर बेल्ट सिस्टम स्थापित करने के संबंध में पर्यावरण मंजूरी की शर्त लागू रहेगी. हालांकि, जब तक रेल/कन्वेयर सिस्टम के संबंध में बुनियादी ढांचा स्थापित नहीं हो जाती है, तब तक कोयले को तिरपाल से ढके ट्रकों के साथ सड़क मार्ग से ले जाया जा सकता है. लेकिन एनटीपीसी इसके बाद मंत्रालय से 10 नवंबर 2020 को विशिष्ट मंजूरी प्राप्त करती है. जो जून 2022 तक सड़क मार्ग से कोयला परिवहन का अनुमति था. इसके बाद के सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की मंजूरी देने संबधी मंत्रालय का कोई निर्देश एनटीपीसी के पास नहीं है. फिर भी एनटीपीसी के द्वारा आबादी क्षेत्र से कोयला ट्रांसपोर्टिंग की जा रही है.
परमिट जारी करने का कोई अभिलेख वन प्रमंडल हजारीबाग पश्चिमी के पास भी नहीं
जबकि हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल के पास एनटीपीसी के पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना से बाणादाग रेलवे साइडिंग तक कन्वेयर बेल्ट से कोयला परिवहन चालू होने के बाद सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने, नहीं करने संबंधी किसी प्रकार का कोई अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोयला परियोजना के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्टेज-2 के फॉरेस्ट क्लियरेंस F.No 8-56/2009-FC की शर्त संख्या-9 में यह शर्त है कि एनटीपीसी को कन्वेयर बेल्ट से कोयला परिवहन करना है.
अवैध ट्रांसपोर्टेशन से होता है हर माह सैकड़ों करोड़ का खेल
सूत्र बताते हैं कि अवैध ट्रांसपोर्टेशन से हर माह सैकड़ों करोड़ का खेल होता है. इस रकम से लोकल स्तर से वरीय अधिकारियों, नेताओं-राजनेताओं,अपराधियों-नक्सलियों को मैनेज किया जाता है. माइनिंग स्थल से सीधे कन्वेयर बेल्ट से बाणादाग रेलवे साइडिंग में कोयला गिरता है, जिससे वैध-अवैध माइनिंग कोयला को बाजार में बेचने और कोयला के नाम चारकोल मिलाकर कोयला सप्लाई नहीं किया जा सकता है. इसलिए सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर बाणादाग साइडिंग के नाम पर निकले कोयले को सीधे बाजार में बेच दिया जाता है और उस कोयले के बदले चारकोल साइडिंग तक पहुंचाया जाता है. जो कन्वेयर बेल्ट से आए कोयले में मिलाया जाता है. इस प्रकार महीने में सैकड़ों करोड़ का वारा-न्यारा किया जाता है . एनटीपीसी के अफसर से लेकर स्थानीय से लेकर वरीय अधिकारी, संबंधित विभागों के अधिकारी, नेता-राजनेता तक एक निश्चित रकम फिक्स है, इसकी चर्चा है.
अवैध कोयला खपाने के लिए सड़क मार्ग से हो रहा कोल ट्रांसपोर्टिंग : पंकज महतो
किसान बेरोजगार संघर्ष मोर्चा बड़कागांव के केंद्रीय संयोजक पंकज महतो कहते हैं कि एनटीपीसी कंपनी नियमों को ताक पर रखकर सड़क मार्ग कोयला परिवहन करा रहा है. इस काम में सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत है. कंपनी अवैध कोयला को खापने लिए कन्वेयर बेल्ट चालू होने के बाद भी सड़क मार्ग से कोल परिवहन कर रही है. स्थानीय नेताओं को भी कंपनी मैनेज किए हुए है. कंपनी के विरोध जो बोलता है, उसे फर्जी केस में फंसाया जाता है. प्रदूषण के कारण खेती भी चौपट हो गई है.
इलाके के आमलोग और जंगली जानवरों को खतरा : अनिरुद्ध कुमार
अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार कहते हैं कि जंगल के रास्ते से कोल ट्रांसपोर्टिंग होने से जंगली जानवरों को खतरा है. इलाके में अक्सर हाथियों का उत्पात देखा जा रहा है, यह सब इसी का नतीजा है. आबादी क्षेत्र से ट्रांसपोर्टिंग होने के कारण मानव जीवन को भी खतरा है. लोग अक्सर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, प्रदूषण से भी लोग परेशान हैं. इसको लेकर डीसी, डीएफओ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को पत्र लिखकर शिकायत किया हूं.