NewDelhi : देश का विभाजन कभी न मिटने वाली वेदना है. RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह बात नोएडा में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में कही. कार्यक्रम में विभाजनकालीन भारत के साक्षी पुस्तक का लोकार्पण किया गया. बता दें कि किताब के लेखक कृष्णानंद सागर ने अपनी किताब में देश के उन लोगों के अनकहे और अनसुने अनुभव को शामिल किया है, जो विभाजन के दर्द के गवाह हैं. किताब में विभाजन के साक्षी रहे लोगों के साक्षात्कारों का संकलन है.
इसे भी पढ़ें : त्रिपुरा निकाय चुनाव : टीएमसी का मतदाताओं को डराने- धमकाने का आरोप, SC के आदेश पर भेजी गयी BSF की दो टीमें
विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, यह अस्तित्व का प्रश्न है
सरसंघचालक ने कहा कि इसका निराकण तभी होगा, जब यह विभाजन निरस्त होगा. कहा कि भारत के विभाजन में सबसे पहली बलि मानवता की ली गयी. श्री भागवत ने कहा कि विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है. भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया, ताकि खून की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है.
इसे भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास पर अखिलेश यादव का भाजपा पर तंज, कहा, इसे भी बेच देंगे
यह इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम
सरसंघचालक भागवत का कहना था कि भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था. हालांकि गुरुनानक जी ने इस्लामी आक्रमण को लेकर हमें पहले ही चेताया था. उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन कोई उपाय नहीं है, इससे कोई भी सुखी नहीं है. कहा कि अगर विभाजन को समझना है, तो हमें उस समय से समझना होगा.
नोएडा सेक्टर-12 स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव ने की. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कुमार रत्नम विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.