Ranchi : राजधानी रांची में नशा और तेज रफ्तार सड़क हादसों का कारण बन रहा है, लगातार मौतें हो रही है. बावजूद इसपर ब्रेक नहीं लग रहा है. साल 2021 के तुलना में साल 2022 में रोड एक्सीडेंट में ज्यादा लोगों की मौत हुई है. साल 2021 में जनवरी से लेकर सितंबर तक 304 मौत हुई है, जबकि 2022 में जनवरी से सितंबर तक 327 लोगों की मौत हुई है.
साल 2021 में 304 लोगों की मौत हुई
रांची जिला परिवहन विभाग के अनुसार साल 2021 में जनवरी में 58 हादसे 44 मौत, फरवरी में 45 हादसे 32 मौत, मार्च में 70 हादसे 42 मौत, अप्रैल में 35 हादसे 23 मौत, मई में 49 हादसे 36 मौत, जून में 30 हादसे 25 मौत, जुलाई में 52 हादसे 36 मौत, अगस्त में 60 हादसे 33 मौत और सितंबर में 48 हादसे 33 मौतें हुई हैं.
साल 2021 में 327 लोगों की मौत हुई
रांची जिला परिवहन विभाग के अनुसार जनवरी में 61 हादसे 51 मौत, फरवरी में 46 हादसे 32 मौत, मार्च में 54 हादसे 37 मौत, अप्रैल में 51 हादसे 36 मौत, मई में 57 हादसे 45 मौत, जून में 52 हादसे 28 मौत, जुलाई में 61 हादसे 46 मौत, अगस्त में 58 हादसे 34 मौत और सितंबर में 51 हादसे 18 मौतें हुई हैं.
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मौत के कई कारण
यहां घटित सड़क हादसों के कई कारण हैं. कई स्थानों पर ब्लैक स्पॉट हैं, जहां न तो ब्रेकर है और न ही ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था. शराब पीकर गाड़ी चलाना, कोलियरी क्षेत्र में ओवर लोडेड बड़े वाहन की चपेट में आना, बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना, एनएच व एसएच के किनारे गाड़ी खड़ी करना, ओवरटेक करना, तेज रफ्तार, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना, नाबालिग के हाथों में वाहन देने के अलावा अन्य कई कारण हैं.
हिट एंड रन मामले में मुआवजा के नियम
हादसे के बाद चालक गाड़ी के साथ फरार हो जानेवाले ‘हिट एंड रन’ मामले में मुआवजे के नियमों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसी साल बदला है. एक अप्रैल 2022 से लागू इस नियम के तहत हिट एंड रन केस में मौत होने पर परिजन को दो लाख रु बतौर मुआवजा मिलेगा. पहले यह राशि 25 हजार थी. वहीं, गंभीर रूप से घायल होने पर 12500 की जगह 50000 रुपये का मुआवजा मिलेगा. मुआवजा का फैसला ट्रिब्यूनल ही करता है. मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत सरकार ने दावा संबंधी मामलों के निपटारे के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल बनाया है. मुआवजे को निर्धारित करनेवाले कारकों में नुकसान के अलावा पीड़ित व्यक्ति की आयु, उसकी आय, जख्मी या मरनेवाले व्यक्ति के ऊपर निर्भर लोगों की संख्या, पीड़ित के इलाज पर आनेवाला खर्च आदि शामिल हैं.
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