Kolkata : कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाये जाने की खबर है. नंदीग्राम केस की सुनवाई कर रहे हाई कोर्ट के जस्टिस कौशिक चंदा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार पाते हुए ममता बनर्जी पर यह जुर्माना लगाया है. साथ ही जस्टिस चंदा ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है. साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की कोशिश की है.
Calcutta High Court imposes a fine of Rs 5 lakhs on West Bengal CM Mamata Banerjee for putting the judiciary in a bad light. The amount will be used for lawyers families who have been affected by COVID19
— ANI (@ANI) July 7, 2021
इसे भी पढ़ें : आज शाम मोदी कैबिनेट का विस्तार, एससी,ओबीसी नेताओं को तरजीह दिये जाने की संभावना
जस्टिस चंदा भाजपा नेताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं
बता दें कि याचिका दायर करते समय ममता बनर्जी की ओर से कहा गया था कि जस्टिस चंदा की कथित फोटो सामने आयी है, जिसमें वह भाजपा नेताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में उन्हें इस केस से हट जाना चाहिए. जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा कि इस मामले में आर्थिक हित पैदा नहीं होता, यह सुझाव देना बेतुका है कि एक न्यायाधीश जिसका किसी मामले के लिए एक राजनीतिक दल के साथ संबंध है, वह पक्षपात कर सकता है, वादी के दृष्टिकोण के कारण किसी न्यायाधीश को पक्षपाती नहीं देखा जा सकता.
जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा कि याचिकाकर्ता के मामले को सुनने के लिए मेरा कोई व्यक्तिगत झुकाव नहीं है, मुझे इस मामले को उठाने में भी कोई हिचक नहीं है, चीफ जस्टिस द्वारा मुझे सौंपे गये मामले की सुनवाई करना मेरा संवैधानिक कर्तव्य है, शुरुआत में बेंच बदलने का कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था.
इसे भी पढ़ें : राजकीय सम्मान के साथ शाम पांच बजे दिलीप कुमार का पार्थिव शरीर होगा सुपुर्द-ए-खाक
निर्णय को प्रभावित करने का प्रयास किया गया
जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा, सुनवाई के दौरान मैंने अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि अदालत में पहले क्यों नहीं बताया गया, उन्होंने (सिंघवी) कहा कि इसे उचित नहीं समझा, भाजपा नेताओं के साथ मेरी तस्वीर का जिक्र सुनवाई के दौरान किया गया था, मामले की सुनवाई से पहले ही मेरे निर्णय को प्रभावित करने का एक जानबूझकर और पूर्ण प्रयास किया गया था.
जस्टिस कौशिक चंदा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए खुद को मामले (नंदीग्राम चुनाव केस) से अलग किया और अब मामला किस कोर्ट में जायेगा, इसका फैसला मुख्य न्यायाधीश करेंगे
इसे भी पढ़ें : देश की वर्तमान व्यवस्था फादर स्टेन स्वामी को निगल गई : हेमंत
ममता नंदीग्राम सीट पर भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से हार गयीं
दो मई को देश के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आये थे. बंगाल में टीएमसी को जीत मिली थी, लेकिन ममता नंदीग्राम सीट पर भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से 1956 वोटों से हार गयी.ममता ने वोटों की दोबारा गिनती की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने नहीं माना.
केस की सुनवाई जस्टिस कौशिक चंदा की बेंच कर रही थी
चुनावी नतीजों के खिलाफ ममता कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इसमें उन्होंने शुभेंदु अधिकारी पर चुनाव में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और धर्म के आधार पर वोट मांगने के आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की. इस केस की सुनवाई जस्टिस कौशिक चंदा की बेंच कर रही थी. इस पर ममता बनर्जी ने उन्हें केस से अलग किये जाने की मांग की थी. उनका कहना था कि कौशिक चंदा के भाजपा से रिश्ते रहे हैं. उनकी इस मांग पर अदालत ने 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.