Washington : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की एक स्टडी में चेतावनी दी गयी है कि 2050 तक अमेरिका के लगभग सभी तट बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण डूब जायेंगे. अगर अमेरिका के तट डूबेंगे तो दुनिया के कई देशों की हालत खराब हो सकती है.स्टडी के अनुसार सिर्फ तटों के डूबने का खतरा नहीं है, बल्कि आने वाले हर छोटे-मोटे तूफान में समुद्री बाढ़ आने का खतरा बढ़ेगा. नासा की यह स्टडी तीन दशकों के सैटेलाइट डेटा के विश्लेषण का परिणाम है.
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अमेरिका के तट एक फीट (12 इंच) तक डूब जायेंगे
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार अमेरिका के तट एक फीट (12 इंच) तक डूब जायेंगे. वर्तमान जलस्तर से एक फीट ज्यादा. इस कारण खाड़ी के तट (Gulf Coast) और दक्षिणपूर्व (Southeast Coast) के तट सबते ज्यादा प्रभावित होंगे. इसका प्रभाव यह होगा कि न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजेल्स और वर्जीनिया जैसे कई तटीय राज्यों को मुसीबत झेलनी पड़ेगी
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समुद्री जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ सबसे बड़ी परेशानी समुद्री बाढ़ होगी
समुद्री जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ सबसे बड़ी परेशानी समुद्री बाढ़ होगी, जो तूफानों की वजह से आयेगी. नासा की यह स्टडी हाल ही में कम्यूनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट जर्नल में प्रकाशित हुई है. नासा की इस स्टडी में कई साइंटिफिक एजेंसियों की रिसर्च रिपोर्ट का एनालिसिस भी किया गया है. जिसे सी-लेवल राइज टेक्निकल रिपोर्ट कहते हैं. इनमें बताया गया है कि अगले 30 सालों में अमेरिका के तटों पर पानी ही पानी होगा.
स्टडी में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों की मदद ली गयी है
अमेरिका के पूर्वी तट (East Coast) पर समुद्री जलस्तर 10 से 14 इंच बढ़ जाएगा. खाड़ी के तट (Gulf Coast) पर 14 से 18 इंच बढ़ेगा. पश्चिमी तट (West Coast) पर 4 से 8 इंच बढ़ जाएगा. इस स्टडी में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों की भी मदद ली गयी है. इन लोगों ने सैटेलाइट डेटा के आधार पर मल्टी एजेंसी स्टडी को मान्यता दी है. उनके डेटा को पुख्ता किया है. इनके सैटेलाइट्स को धरती के आधुनिक जानकारी है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के क्लाइमेट साइंटिस्ट जोनाथन ओवरपेक ने कहा कि नासा ने अपने सैटेलाइट अल्टीमीटर से समुद्री सतह को नापा. उसके बाद NOAA के टाइड गॉज रिकॉर्ड्स से मिलाया. नोआ यह डेटा पिछले 100 सालों से जमा कर रहा है. इसके बाद नासा ने माना कि उनकी रीडिंग्स गलत नहीं है.
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नासा की स्टडी सरप्राइज नहीं कर रही है, डरा रही है
जोनाथन ने कहा कि नासा की स्टडी सरप्राइज नहीं कर रही है, डरा रही है. हमें पता है कि समुद्री जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. उसकी वजह भी पता है. जितना ज्यादा ध्रुवीय बर्फ पिघलेगी, उतना ज्यादा समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. ध्रुवीय बर्फ ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पिघल रही है. यानी धरती और समुद्री सतह का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही हवा भी गर्म होती जा रही है.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट साइंटिस्ट डेविड हॉलैंड मानते हैं कि नासा के डेटा सटीक हैं. भविष्य में आने वाले हरिकेन ज्यादा मुसीबत लेकर आयेंगे. खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.
अमेरिकी तटों को अल-नीनो और ला-नीना के प्रभावों का सामना ज्यादा करना होगा
2030 के मध्य तक अमेरिकी तटों को अल-नीनो और ला-नीना के प्रभावों का सामना ज्यादा करना होगा. 18.6 साल बाद चंद्रमा की कक्षा में होने वाले बदलावों, अल-नीनो और ला-नीना के प्रभावों और समुद्री जलस्तर बढ़ने की वजह से आने वाले समुद्री बाढ़ से अमेरिका के कई तटीय राज्य जूझने वाले हैं. 2050 तक तो बहुत बुरी स्थिति हो जाएगी. तटों पर समुद्र आगे आ जाएगा.
इंसानों को समझना होगा कि उनकी वजह से शुरु हुआ क्लाइमेट चेंज, उन्हें कई नये खतरनाक नजारे दिखाने वाला है. इसलिए जरूरी है कि ये बदलते हुए जलवायु परिवर्तन के साथ सामजंस्य बिठाकर चले.