Simdega : अक्षय तृतीया एवं ईद के अवसर पर सिमडेगा के टाउन हॉल में कैलाश सत्यार्त्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा “बाल विवाह मुक्त भारत” पर राष्ट्रीय परिचर्चा एवं विमर्श का आयोजन किया गया. इस अवसर पर देशभर से जुटे गैरसरकारी संगठनों ने सरकार से एक स्वर में बाल विवाह के खिलाफ मजबूत कानून बनाने और मौजूदा कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की अपील की. साथ ही सरकार से बाल विवाह निषेध कोष बनाने और 18 साल तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान करने की भी मांग की. यह राष्ट्रीय परिचर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि भारत में बाल विवाह का आयोजन ज्यादातर अक्षय तृतीया तथा ईद के अवसरों पर ही होता है. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन बाल विवाह उन्मूलन को लेकर अभियान चला रहा है. फाउंडेशन ने पिछले साल 16 अक्टूबर को बाल विवाह के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े जमानी आंदोलन की शुरुआत की है. यह परिचर्चा इसी अभियान का एक कदम है.
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के बैनर तले जुटे गैरसरकारी संगठन इस बात पर सहमत हैं कि देश में भले ही बाल विवाह कराने वाले लोगों को दंडित करने के लिए विशेष कानून अर्थात बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 है, फिर भी बाल विवाह को समूल नष्ट करने के लिए वर्तमान क़ानून को संशोधित कर मजबूत बनाने की जरूरत है. साथ ही मौजूदा कानून का कड़ाई से पालन सुनिश्चत करने की जरूरत है. वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए गैरसरकारी संस्थाओं ने कई प्रकार के उपायों पर बात की. कानून के संबंध में कई अनुशंसाओं पर बात की गयी, जिनमें वर्तमान कानूनों का कड़ाई से क्रियान्वयन, कड़े दंड के साथ कानून में संशोधन, आवश्यक रिपोर्टिंग और अधिकारियों के उत्तरदायित्व सम्मिलित हैं.
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यह इस परिचर्चा में निर्णय लिया गया कि सरकार एवं राजनीतिक दलों से यह अपील की जाए कि वह मुफ्त शिक्षा की आयु सीमा को 18 वर्ष तक कर दें. इससे बाल विवाह रोकने में बहुत मदद मिलेगी. सुझाव में यह भी निकलकर आया कि बाल विवाह को रोकने वाले संस्थानों को मजबूत किया जाए एवं अधिकारियों के ज्ञान एवं क्षमता निर्माण पर कार्य किया जाए. साथ ही बाल विवाह के विषय पर धार्मिक नेताओं को अभियान से जोड़ने पर सहमति बनी. वह अपने समुदाय के लोगों को यह समझा सकेंगे कि वे बच्चों का कम उम्र में विवाह न करें. साथ ही सरकार से एक विशेष बाल विवाह निषेध कोष बनाने की भी मांग की गई.

बाल विवाह रोकने के लिए इन उपायों पर चर्चा
सरकारी स्कूलों में पढ़ रही बच्चियों को प्रतिमाह 500 रुपये की छात्रवृत्ति दी जा सकती है, जिससे वह अपनी शिक्षा जारी रख सकें. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली उन लड़कियों के लिए प्रधानमंत्री शगुन कोष का भी गठन किया जा सकता है, जिनका विवाह कानूनी उम्र में होने पर उन्हें सरकार द्वारा 11,000 रुपये का उपहार दिया सकता है. बाल विवाह के विषय को बच्चों की उम्र के अनुसार पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, जिससे स्कूल जाने वाले बच्चे इसके दुष्प्रभावों एवं इसके कानूनी प्रावधानों के बारे में परिचित हो सकें. जो लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र की हैं, उन्हें इस विषय में अवगत कराया जाना चाहिए कि कैसे वह विवाह में यौन उत्पीड़न को लेकर शिकायत कर सकती हैं.
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