- – जिनका निबंधन हुआ, उन्हें भी फायदा नहीं मिला
- – पीयूसी और संबंधित विभाग उदासीन रहे, सफल न हो सकी योजना
- – एसटी-एससी को व्यवसायी-उद्यमी बनाने के उद्देश्य से एमएसएमई मंत्रालय ने 2016 में लांच की थी योजना
Kaushal Anand
Ranchi : भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी नेशनल एसटी-एससी हब योजना को लेकर झारखंड में अधिकारी उदासीन बने रहे. नतीजतन झारखंड में आठ साल में सिर्फ 166 एसटी-एससी उद्यमियों ने ही योजना के तहत निबंधन तो कराया, लेकिन उन्हें भी कोई सहयोग नहीं मिला. ऐसा नहीं है कि राज्य के आदिवासी व दलित युवाओं में व्यवसाय व उद्योग को लेकर दिलचस्पी नहीं है. वे व्यवसाय-उद्योग के क्षेत्रमें आगे तो आना चाहते हैं, लेकिन पीयूसी (पब्लिक यूनिट सेक्टर) ने इस स्कीम में दिलचस्पी ही नहीं ली या यू कहें कि सहयोग ही नहीं किया. इसका नतीजा यह हुआ कि झारखंड के एसटी-एससी युवाओं को योजना का लाभ ही नहीं मिल सका. ऐसी स्थिति तब है, जब योजना के लिए संबंधित विभागों और पीयूसी के एक-एक नोडल ऑफिसर नियुक्त है. नेशनल एसटी-एससी हब योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी सोच के तहत केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) द्वारा वर्ष 2016 में पूरे देश में लांच की गयी थी, लेकिन यहां के अदिकारियों के उदासीन रवैये के कारण झारखंड को इसका फायदा नहीं मिल सका.
क्या कहते हैं योजना के जानकार
कुछ लोगों ने इस योजना का फायदा जरूर उठाया है, मगर केंद्र सरकार के विभागों और पीयूसी के दिलचस्पी नहीं लेने के कारण जिस हिसाब से इसे झारखंड में सफल होना था नहीं हा सका. वैसे केंद्र सरकार ने तो बहुत ही अच्छी योजना लायी थी. इसमें कई तरह की खामियां हैं, जिसे दूर करने की जरुरत है. एक तो 4 प्रतिशत की खरीदारी की बाध्यता या फिर अपने सेक्टर में प्राथमिकता देने का जो नियम है, उसे ठीक से फॉलो नहीं किया गया. योजना का लाभ उठाने में अभ्यार्थियों को कई तरह की तकनीकी समस्याओं से गुजरना पड़ता है. अगर इन्हें ठीक किया जाये, तो यह स्कीम फायदेमंद साबित होगी. – बसंत तिर्की, महासचिव ट्राइबल चैंबर ऑफ कॉमर्स, सदस्य नेशनल एसटी-एससी हब इंपावर कमेटी
क्या थी योजना
- -पीएम नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच के तहत केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने नेशनल एसटी-एससी हब योजना की शुरुआत 2016 में की थी.
- – योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित उद्यमियों को पेशेवर सहायता उपलब्ध कराना है.
- -सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए केंद्र सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति 2012 के तहत कुल सरकारी खरीद का चार प्रतिशत हिस्सा इन उद्यमियों से ही लेना है.
- – योजना के तहत एसटी-एससी उद्यमियों को 25 % तक सब्सिडी देने का प्रावधान है. मशीन-उपकरणों की खरीदारी में भी 25% सब्सिडी दी जाती है.
- -इच्छुक उम्मीदवारों को नेशनल एसटी-एससी हब, एमएसएमई मंत्रालय के पोर्टल पर या कार्यालय में जाकर आवेदन जमा करना होता है.
- -भारत सरकार की पर्चेज पॉलिसी के अनुसार, केंद्र सरकार के सभी विभाग या पीएसयू को अपनी कुल खरीदारी का चार प्रतिशत एसटी-एससी उद्यमियों से लेना है.
- – टेंडर में हिस्सा लेने पर एसटी-एससी उद्यमियों को ही प्राथमिकता देनी है. इसके अलावा जेम पोर्टल से खरीदारी में भी इन्हें प्राथमिकता देनी है.
- – केंद्र सरकार की कंपनियां, सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों को चार प्रतिशत समान इन एसटी-एससी उद्यमियों की कंपनियों से लेना अनिवार्य था
- – पीयूएस कंपनियां जैसे एनटीपीसी, सीसीएल, डीआरएम कार्यालय, यूसिल, गेल, ओएनजीसी, सेल आदि ने कार्यक्रम किये गये हैं और एसटी-एससी उद्यमियों को प्राथमिकता देने की बात कही गयी है.
झारखंड में योजना की क्या है स्थिति
– वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, झारखंड की कुल आबादी 3.29 करोड़ में एसटी आबादी 86.45 लाख है, जो कुल आबादी का 26.2 प्रतिशत है. वहीं एससी की आबादी 40 लाख है, जो कुल आबादी का 12 प्रतिशत है.
-आंकड़ों के अनुसार झारखंड के केवल 0.11 प्रतिशत उद्यमी या उनकी कंपनियां ही सरकारी खरीदारी के लिए जेम पोर्टल पर निबंधित हैं.
– झारखंड में अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी) उद्यमियों की संख्या काफी कम है.
-रांची में नेशनल एसटी-एससी हब का कार्यालय है. यहां अब-तक निबंधित एसटी-एससी उद्यमियों की संख्या 166 है
– 483 ऐसे लोग हैं, जो राज्य में उद्योग लगाना चाहते हैं और उन्होंने सहायता के लिए आवेदन दिया है, लेकिन मदद नहीं मिली है.
– योजना के तहत रांची, धनबाद, बोकारो, लोहरदगा, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम व पश्चिमी सिंहभूम जिलों में काम शुरू किया गया.
-अधिकांश उद्यमियों ने कैंटीन सर्विस, हाउस कीपिंग सर्विस, ट्रैवल एंड टूर, मैनपावर सप्लाई आदि का काम शुरू किया है.
-उत्पादन से जुड़े लोगों ने कस्टमाइज्ड मशीन, नट बोल्ट यूनिट, ग्लब्स, हर्बल साबुन, लिक्विड शोप, क्लीनिंग लिक्विड, फैब्रिकेशन, इंडस्ट्रियल शू के साथ-साथ स्टील व वुडेन ऑफिस फर्नीचर यूनिट लगायी है
– इनकी खरीददारी पीयूसी या केंद्र सरकार के सरकारी विभाग नहीं के बराबर करते हैं या फिर यह कहा जा सकता है कि इनकी रूचि ही नहीं रही.
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