NewDelhi : भारतीय मूल की महिला पत्रकार मेघा राजगोपालन को पत्रकारिता जगत के सबसे बड़े पुरस्कार पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किये जाने का खबर है. जान लें कि मेघा ने अपने रिपोर्ट के जरिए चीन के डिटेंशन कैंपों की सच्चाई दुनिया के सामने रखी थी. उन्होंने सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण कर बताया था कि चीन ने कैसे लाखों की संख्या में उइगुर मुसलमानों को कैद करके रखा हुआ है. मेघा राजगोपालन ने अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग कैटेगरी में मिले इस पुरस्कार को इंटरनेट मीडिया बजफीड न्यूज के दो सहकर्मियों के साथ शेयर किया है.
Am so grateful to our team, to @BuzzFeedNews, @alexcampbell & the organizations that supported us.
Most of all I'm grateful to ex-detainees who told us what happened to them inside Xinjiang's camps. The public owes much to their courage.
Still much more work to be done. https://t.co/IEylM09S5r
— Megha Rajagopalan (@meghara) June 11, 2021
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260 यातना शिविरों की पहचान की गयी
राजगोपालन और उनके सहकर्मियों ने यातना शिविरों में रहने वाले करीब दो दर्जन लोगों का साक्षात्कार लिया था. इन साक्षात्कारों की पुष्टि करने के लिए इन्होंने सैटेलाइट तस्वीरों और 3डी सिमुलेशन का इस्तेमाल किया वह कहती हैं, मैं पूरी तरह से हैरान थी, मैंने इसकी कल्पना नहीं की. प्रकाशन के अनुसार, राजगोपालन और उनके सहकर्मियों एलिसन किलिंग और क्रिस्टो बुशेक ने 260 यातना शिविरों की पहचान की थी.
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कजाकिस्तान में शिविरों से भागकर आये लोगों से बात की
इन्होंने एक बड़ा डाटाबेस तैयार किया था. वह चीन में भी साक्षात्कार लेना चाहती थीं, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने पड़ोस के कजाकिस्तान में शिविरों से भागकर आये लोगों से बात की. भारतीय मूल के एक अन्य पत्रकार नील बेदी को भी पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. उन्हें पुरस्कार स्थानीय रिपोर्टिंग कैटेगरी में उनके द्वारा लिखी गयी रिपोर्ट्स के लिए मिला है. बेदी ने फ्लोरिडा में सरकारी अधिकारी के बच्चों की तस्करी को लेकर एक इनवेस्टिगेटिव स्टोरी लिखी थी, जो टांपा बेय टाइम्स में प्रकाशित हुई थी.
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पिता के बधाई संदेश को ट्विटर पर पोस्ट किया
मेघा राजगोपालन ने अपने पिता के बधाई संदेश को ट्विटर पर पोस्ट किया है. इस मैसेज में उनके पिता ने मेघा को पुलित्जर पुरस्कार मिलने की बधाई दी है. पिता ने लिखा, बधाई मेघा, मम्मी ने मुझे अभी यह संदेश फॉरवर्ड किया है. पुलित्जर पुरस्कार. बहुत बढ़िया. जिसके जवाब में मेघा ने थैंक्स लिखकर जवाब दिया है.
जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या को रिकॉर्ड करने वाली अमेरिका की डार्नेला फ्रेजियर को पुलित्जर स्पेशल साइटेशन दिया गया है. उन्होंने मिनेसोटा में उस घटना को रिकॉर्ड किया था जिस दौरान अश्वेत-अमेरिकन जॉर्ज फ्लॉएड की मौत हो गयी थी. इसके बाद अमेरिका ही नहीं, दुनियाभर में नस्लीय हिंसा के विरोध में भारी प्रदर्शन हुए थे,
पुलित्जर पुरस्कार की शुरुआत 1917 में हुई
पत्रकारिता के क्षेत्र में पुलित्जर पुरस्कार सबसे पहले 1917 में दिया गया था और इसे अमेरिका में इस क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है. 2020 के लिए पुरस्कार समारोह का आयोजन 19 अप्रैल को होना था लेकिन कोविड-19 के कारण इसे जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. इसके अनावा पिछले सालविजेताओं की घोषणा दो सप्ताह की देरी से हुई थी, क्योंकि बोर्ड सदस्य महामारी संबंधी परिस्थितियों के कारण व्यस्त थे.