Dhanbad/Ranchi : नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई की टीम ने एक बार फिर धनबाद में दबिश दी है. पूर्व में दबोचे गए बंटी उर्फ अविनाश की निशानदेही पर नुनुडीह के भाटबांध तालाब से जांच एजेंसी ने एक बोरा बरामद किया है. इस बोरे में करीब डेढ़ दर्जन मोबाइल होने की बात कही जा रही है. बोरा और उसमें रखे मोबाइल को जब्त कर सीबीआई यहां से लौट गई है. इन मोबाइल का प्रयोग पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने पेपर और आंसर को प्रसारित कराने के लिए किया था. सीबीआई ने अविनाश के एक सहयोगी को हिरासत में लिया है. बताते चलें कि अब तक इस सनसनीखेज मामले में 36 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पेपर लीक मामले की तह तक जाने में केंद्रीय जांच एजेंसी को कामयाबी भी मिल चुकी है.अब वारदात से जुड़े साक्ष्यों को जमा किया जा रहा है. ताकि कोर्ट में शातिरों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके.
उल्लेखनीय है कि नीट पेपर लीक मामले में अभी तक की जांच पर सीबीआई का कहना है कि एजेंसी 23 जून 2024 से नीट पेपर चोरी और लीक मामले की जांच शुरू की. सीबीआई ने पटना के शास्त्रीनगर थाने में दर्ज एफआईआर को टेकओवर किया था.पूरे मामले में शातिरों की कई टीम ने मिलकर काम किया था. पेपर लीक कराने वाले, पेपर साल्व करने वाले, पेपर के लिए रकम देने वाले छात्रों को ढूंढने वाले, फिर इन छात्रों तक पेपर व आंसर भेजने वाले, ये सारे काम अलग-अलग गिरोह ने किया था. सभी जांच एजेंसी की जद में हैं.
सुराग मिलते गए और कार्रवाई आगे बढ़ती गई
एजेंसी के मुताबिक नीट 2024 का पेपर 5 मई 2024 को झारखंड के हजारीबाग स्थित ओएसिस स्कूल से पंकज कुमार द्वारा अवैध रूप से प्राप्त किया गया था, जो पेपर लीक मामला के मास्टरमाइंड में से एक है. इस मामले में ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल समेत कई अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. पहले पंकज काे दबोचा गया. इसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया गया है.
ऐसे हुआ पेपर लीक
5 मई को प्रश्न पत्रों वाले ट्रंक को स्कूल में लाया गया. सुबह नियंत्रण कक्ष में रखा गया था. ट्रंक आने के कुछ मिनट बाद स्कूल के प्रिंसिपल और अन्य अधिकारियों ने अवैध रूप से मास्टरमाइंड पंकज को उस कमरे में जाने की अनुमति दी, जहां ट्रंक रखे गए थे. पंकज की मौजूदगी में ट्रंक को तोड़ा गया और फिर पेपर की तस्वीर लेने की बात कही जा रही है. फिर ट्रंक को अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग वैसे ही बंद कर दिया गया. ताकि पता नहीं चले कि ट्रंक को खोला या तोड़ा गया है. सीबीआई ने इन उपकरणों को भी जब्त कर लिया है.
120 से अधिक छात्रों ने खरीदा था पेपर !
नीट पेपर ट्रंक से हासिल करने के बाद उसे हजारीबाग में हल किया गया था, इसके लिए कुछ एक्सपर्ट की मदद ली गई थी. फिर हल किए गए पेपर को कुछ चयनित छात्रों के साथ साझा किया गया था. इन छात्रों ने ही गिरोह के लोगों को पेपर के पैसे दिए थे. पेपर सॉल्वर की पहचान हो गई है और कुछ की गिरफ्तारी भी हो गई है. इनमें कुछ सॉल्वर बड़े कॉलेजों के एमबीबीएस छात्र हैं. सीबीआई ने कहा कि कुछ अन्य लोग भी इस गड़बड़ी में शामिल थे जो उम्मीदवारों को लाने में शामिल थे.जांच में अब तक ये बात सामने आई है कि झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और राज्यों के छात्रों ने पेपर लिया था. पेपर के एवज 20 लाख रुपये से लेकर 35 लाख रुपये तक देने की बात सामने आ रही है. ऐसे छात्रों की संख्या भी 120 से अधिक होने की आशंका है.
साल्वर गैंग को भी हजारीबाग लाया गया था
ट्रंक से चुराए गए पेपर्स को अलग-अलग मेडिकल स्टूडेंट्स के जरिए 5 मई की सुबह ही सॉल्वर गैंग से सॉल्व कराया गया था. जिन छात्रों ने रकम दी थी, उन्हें पेपर के साथ आंसर भी शेयर किया गया. सॉल्वर गैंग से जुड़े अलग-अलग मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को पहचाना गया और गिरफ्तार किया गया. इन सॉल्वर्स गैंग से जुड़े स्टूडेंट्स को इसी मकसद के साथ 5 मई को हजारीबाग लाया गया, ये सभी नीट पेपर लीक साजिश का हिस्सा हैं. इन शातिरों ने पूरी होशियारी के साथ वारदात को अंजाम दिया था. लेकिन अभी तक की जांच में सीबीआई ने 33 जगहों पर छापेमारी कर 36 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई की जांच अभी जारी है. धनबाद के तालाब में बरामद मोबाइल भी पेपर को छात्रों के पास भेजने के काम में लाए गए थे.
यह भी पढ़ें : साहिबगंज : महिला की चेन छीनकर भाग रहे चोर को इंस्पेक्टर ने खदेड़कर पकड़ा
Leave a Reply