Ranchi: दर्द का सबसे बड़ा कारण न्यूरोपैथिक पेन (नसों में समस्या के कारण होने वाला दर्द) होता है. न्यूरोलॉजी विभाग में आने वाले करीब 80 फीसदी मरीज दर्द के होते हैं, उनमें से अधिकतर न्यूरोपैथिक पेन के होते हैं. रिम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि न्यूरोलॉजी में प्रतिदिन 150 मरीजों में 100 मरीज ऐसी ही समस्या के होते हैं. उन्होंने बताया कि बहुत बार लोगों को लगता है कि हड्डी के टूटने से ही दर्द होता है. लेकिन अधिकतर मामलों में नस डैमेज हो जाने से, स्पाइनल कोर्ड के डैमेज होने से भी दर्द होता है. कई बार ब्रेन में परेशानी से भी दर्द होता है. समय पर पता नहीं चलने से इलाज भी समय पर शुरु नहीं हो पाता है. मरीज इधर से उधर घूमता रह जाता है और कभी भी इलाज सही नहीं मिल पाता है. 80 फीसदी मरीज पेन के होते हैं, उनमें से अधिकतर मरीज न्यूरोपैथिक पेन के ही होते हैं.
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दर्द जागरुकता महीना का हो रहा है आयोजन
न्यूरोलॉजिकल बीमरियों के कारण ही दर्द होता है. इस जागरुकता महीना के जरिये हम मरीजों को दर्द का सही कारण बताने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि रिम्स में हर गांव और शहर से लोग आते हैं. हम उनके माध्यम से उन इलाकों के मरीजों को यह संदेश पहुंचाने का काम करते हैं.
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कोविड के बाद नसों की बीमारी बढ़ी
डायबिटिज की वजह से नसें डैमेज हो जातीं है, लगातार शराब का सेवन करने से नशों पर विपरित प्रभाव पड़ता है. लैपरोसी अभी भी देश में फैली हुई है, उसके कारण भी दर्द होता है. वैस्कुलाइटिस के कारण भी दर्द होता है, वैस्कुलाइटिस मतलब ब्लड सप्लायी करने वाली नसों में जलन पैदा हो जाता है. जिससे नसें धीरे-धीरे डैमेज हो जाती हैं. यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित हो जाता है. कोविड के बाद डायबिटिज हो जाता है, कई लोग प्री-डायबिटिक हो गए हैं. डायबिटिज से नसों को डैमेज करता है. डायबिटिज के कारण नसों की बीमारियां भी बढ़ी हैं. शरीर का जलना, झिनझिनी होना, नसों का जलना, चीटी कांटने जैसा लगना बहुत अधिक हो गया है. लगातार दर्द होने का कारण डिस्क के कारण भी दर्द होता है.