Sanjaya kumar Singh
खबर यह है कि दो महीने में बाहर किए जाने वाले तीसरे भाजपाई मुख्यमंत्री हैं. इस साल इस्तीफा देने वाले चौथे मुख्यमंत्री है. इस खुले खेल के बावजूद इससे संबंधित ‘खबर’ पहले लिखने वाले पत्रकार, धवल पटेल पर एक सब इंस्पेक्टर से राजद्रोह का मुकदमा करवाया गया था और जमानत मिलने से पहले उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा था. बाद में इस रिपोर्ट या आलेख को वापस ले लिया गया और बिना शर्त माफी मांगने पर एफआईआर रद्द की गई. तब अदालत ने पटेल को चेतावनी दी थी, “भविष्य में आप जब कभी ऐसा कोई आलेख लिखें, किसी भी संवैधानिक पद पर काम करने वालों के खिलाफ बगैर जांच किए ऐसी कोई टिप्पणी न की जाए और ऐसा दोहराया नहीं जाए इसके लिए सतर्क रहें.”
कहने की जरूरत नहीं है कि संवैधानिक पदों पर रह चुके लोग राजभवन में रंगरेलियां मनाते हुए पकड़े जा चुके हैं और घोषित-अघोषित आकाओं द्वारा आधी रात को जगाकर ऐसे संवैधानिक काम पर लगाए जा चुके हैं, जो कुछ ही समय बाद बेकार हो गया. इसके बावजूद मुख्यमंत्री बदले जाएंगे लिखने पर यह आदेश था. आज (या कल) उस खबर या आलेख की सत्यता की पुष्टि हो गई, जिससे ना सिर्फ कार्यपालिका बल्कि न्यायपालिकों को भी तकलीफ थी. और बेशक यह तकलीफ इसलिए थी कि इससे नेताओं को तकलीफ है. इस स्थिति को जिसकी लाठी उसकी भैंस कहा जाता है पर अखबार बता रहे हैं कि यह चुनाव के लिए किया गया है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.