Arun Kumar
Garhwa: जिले में लाह का उत्पादन कम होने से कृषकों के आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा है. करीब दो दशक पूर्व रंका अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न भागों में लाह का उत्पादन युद्ध स्तर पर किसानों के द्वारा किया जाता रहा था. रंका का लंबा इतिहास है कि यहां के सैकड़ों लोग लाह उत्पादन कर आर्थिक रूप से मजबूत होते थे. बेटी-बेटा की शादी का आधार लाह की खेती हुआ करता था. लेकिन विगत कई वर्षों से लाह का उत्पादन नहीं होने के कारण क्षेत्र में तंगहाली और बेरोजगारी बढ़ी है. लोग अपने गांव को छोड़कर अन्य प्रदेशों में नौकरी की तलाश में भटकते हुए नजर आते हैं. कोई भी ऐसा गांव नहीं है, जहां से लोग पलायन के शिकार मजदूर नहीं है. यहां के किसान बताते हैं प्रदूषण के कारण लाह के उत्पादन पर असर पड़ा है. पहले इतना प्रदूषण क्षेत्र में नहीं हुआ करता था, अब प्रदूषण ज्यादा बढ़ गया है. जिसके कारण लाह के कीड़े पनप नहीं पा रहे हैं. पलाश लाह के लिए रंका अनुमंडल क्षेत्र पूरे देश में जाना जाता रहा है. बावजूद इसके उत्पादकता बढ़ने के बजाय घटता हुआ प्रतीत होता है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि लाह का उत्पादन कहां पर गुम हो गया है. वन प्रमंडल पदाधिकारी शशि कुमार का कहना है कि लाह के उत्पादन के लिए उनके कीड़ों को पालने का प्रशिक्षण रंका के विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है. पर अभी तक किसी क्षेत्र से यह खुलकर परिणाम सामने नहीं आया है. जिससे जाना जा सके कि लाह के उत्पादन में वन विभाग ने कोई प्रगति की है. बता दें कि यहां के लोगों का मुख्य जीवन का आधार लाह उत्पादन करना 20 बरस पहले हुआ करता था,लेकिन आज स्थितियां उसके प्रतिकूल हैं. किसानों के खेतों में पलाश यूं ही शोभा के रूप में देखा जा सकते हैं. हालांकि इस के फूल को बेचकर यहां के किसान कुछ आमदनी जरूर कर लिया करते है. परंतु जिस हिसाब से लाह की उत्पादकता में कमी आई है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र से किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है.. सरकार को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. 20 सूत्री अध्यक्ष अहमद अली अंसारी ने बताया कि यह क्षेत्र लाह की फसल के लिए जाना जाता है. इसके नहीं होने से किसानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. उन्होंने वन विभाग के लोगों से कहा है कि जहां प्रदूषण मुक्त क्षेत्र हैं उन स्थानों पर लाह की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मैं सरकार से इस दिशा में पहल करने के लिए पत्राचार करूंगा और किसानों की नकदी फसल को बरकरार रखने के लिए प्रयत्न करूंगा. यहां के किसान मित्र आशीष कुमार गुप्ता का कहना है कि मधुमक्खी के पालन होने के कारण यहां पर उत्पादन में कमी आई है. दूसरी वजह उन्होंने बताते हुए कहा कि दिन प्रतिदिन खेतों में किसानों के द्वारा रासायनिक खाद का प्रयोग और कीटनाशक दवाइयों के व्यवहार के कारण भी लाह की फसल बर्बाद हुए हैं. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर पर यह बात कृषि विभाग के द्वारा सामने आई है, पर इसके निजात के लिए सरकार को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. ताकि यहां के किसानों को आर्थिक स्थिति में वृद्धि किया जा सके.
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राष्ट्रीय युवा दिवस पर सम्मान समारोह का आयोजन
Garhwa: राष्ट्रीय युवा दिवस पर सम्मान समारोह का आयोजन भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था नेहरू युवा केंद्र के बैनर तले गढ़वा के एएसडी स्कूल में आयोजित किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर एवं स्वामी विवेकानंद जी की चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद एवं समाजसेवी डॉ अलखनाथ पाण्डेय ने स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी पर प्रकाश डाला एवम उनसे सीख लेकर सामाजिक जीवन में आगे बढ़ने की बात कहीं. उन्होंने समाजसेवी अमरेंद्र कुमार को आज के युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि आज के जमाने में जब लोग ₹100 रूपये पा कर उसे वापस करने में दस बार विचार करते हैं, कि यह रूपये जिसका गिरा है उसे वापस करें या नहीं. लेकिन स्वयंसेवक अमरेंद्र कुमार ने सड़क पर गिरे 60,000 ( साठ हजार) रूपये पा कर उसे सही सलामत वापस करने का कार्य किया है. ऐसा जीवंत उदाहरण वर्तमान समय में बहुत ही कम देखने और सुनने को मिलता है.