NewDelhi : कोई भी राज्य यूं ही अपने यहां होने वाले अपराधों के मामलों की सीबीआई जांच के लिए दी गयी अनुमति वापस नहीं ले सकता. ऐसा किसी ख़ास केस में ही किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उस राज्य के पास उपयुक्त कारण होने चाहिए. केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखा है. बता दें कि केंद्र सरकार का यह जवाब(हलफनामा) पश्चिम बंगाल सरकार की अर्जी के जवाब में आया है.
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पश्चिम बंगाल सरकार ने SC में याचिका दायर की है
जान लें कि पश्चिम बंगाल के मामलों में सीबीआई की ओर से एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ राज्य सरकार ने SC में याचिका दायर की हुई है. पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने सीबीआई को राज्य के मामलों में केस दर्ज करने की अनुमति तीन साल पहले ही वापस ले ली थी. कहा कि उसके बाद भी 12 मामलों में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. यह ग़ैरकानूनी है और केंद्र-राज्य के बीच शक्तियों के बंटवारे की संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है.
इसका जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसी भी मामले की जांच सीबीआई से कराने की सहमति वापस लेने का आदेश या सभी मामलों में सहमति वापस लेने का व्यापक आदेश, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा-6 के तहत मिली शक्ति का बेजा इस्तेमाल है. केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकार के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है.
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पश्चिम बंगाल का दावा आधारहीन है
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर केंद्र सरकार ने कहा है कि पश्चिम बंगाल का यह दावा है कि उसके पास सीबीआई से जांच वापस लेने की पूर्ण शक्ति है, आधारहीन है. केंद्र ने कहा कि सीबीआई जांच के लिए सहमति देने की राज्य सरकार की शक्ति में किसी भी मामले में सहमति न देने या पहले से दी गयी सहमति को वापस लेने के लिए व्यापक निर्देश पारित का अधिकार शामिल नहीं है.
केंद्र सरकार का यह जवाब कई मामलों की जांच सीबीआई को देने के खिलाफ पश्चिम बंगाल द्वारा दायर एक मूल वाद (सूट) पर आया है. इन मामलों में चुनाव बाद हिंसा और कोयला चोरी का मामला शामिल है. याचिका में कहा गया है कि चूंकि तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसी को दी गयी सामान्य सहमति वापस ले ली गयी है इसलिए दर्ज की गयी प्राथमिकी पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है.