Ranchi: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों में नॉर्मल डिलिवरी अब इतनी भी सामान्य नहीं रही. एनएफएचएस-5 की इस रिपोर्ट में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था. जिसमें पता चला कि 18 में से 10 राज्यों के प्राईवेट अस्पतालों में ज्यादातर रूप से सी-सेक्शन (सीजेरियन ऑपरेशन) के जरिये डिलिवरी करायी गयी है.
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तीन राज्यों में 80% से ज्यादा सीजेरियन डिलिवरी
NFHS द्वारा जारी डेटा के अनुसार पिछले सर्वे और इस वर्ष के बीच 4 साल में लगभग हर राज्यों में स्थिति और भी खराब हो चुकी हैं. इनमें भी पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर के प्राइवेट अस्पतालों की स्थिति सबसे खराब है. पश्चिम बंगाल में 83% और जम्मू-कश्मीर में 82% सीजेरियन डिलिवरी की गयी है. तेलंगाना में लगभग आधी संस्थागत सीजेरियन डिलिवरी प्राईवेट अस्पतालों में की गयी है, जहां सीजेरियन डिलिवरी की दर 81.5% पहुंच चुकी है. वहीं तेलंगाना के पब्लिक सेक्टर में भी सी-सेक्शन दर 45% देखी गयी. कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के निजी और सार्वजनिक दोनों अस्पतालों में 2015-16 में हुए पिछले सर्वे के बाद से सीजेरियन डिलिवरी के अनुपात में और भी बढोतरी नजर आयी. असम में भी निजी सुविधाओं में ऊंची छलांग दिखी, जहां सीजेरियन डिलिवरी का आंकड़ा 53% से 71% पहुंचा नजर आया.
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लोगों को प्राइवेट अस्पतालों पर है ज्यादा भरोसा – डॉ शशि भूषण
सदर अस्पताल के डॉक्टर शशि भूषण खलखो का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में ऐसे केसेज बढ़ने का कारण रेफर केस भी हो सकते हैं. सरकारी अस्पतालों में भी कॉम्प्लिकेशन आने पर पेशेंट को सरकारी स्पेशलिस्ट के पास ही भेजा जाता है. कहीं न कहीं लोग प्राइवेट अस्पतालों पर ज्यादा विश्वास करते हैं. यहीं कारण है कि प्राइवेट अस्पतालों मे डिलिवरी कराते हैं. रांची के सरकारी अस्पतालों में कॉम्प्लिकेशन वाले केसेज होने पर उन्हें या तो सदर अस्पताल या RIMS भेजा जाता है.
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उत्तर पूर्वी राज्यों में सामान्य दर से भी कम केस
रिपोर्ट में गुजरात के प्राइवेट अस्पताल की दर सबसे कम 31% पायी गयी है. हालांकि, सभी राज्यों में पब्लिक सेक्टर की दरों में काफी कम थी, पिछले सर्वे के अनुसार पब्लिक सेक्टर में भी सीजेरियन डिलिवरी के दरों में काफी ज्यादा बढत हुई है. नगालैंड, मिजोरम और मेघालय को छोड़कर सभी राज्यों के पब्लिक सेक्टर में यह दर बढ़ी है. बिहार में सीजेरियन डिलिवरी की दर बहुत कम, 3.6% नापी गयी. तीन उत्तर पूर्वी राज्यों में भी पब्लिक सेक्टर में सीजेरियन डिलिवरी की दर 10% से कम है. इंटरनेशनल हेल्थकेयर कम्युनिटी के मुताबिक सीजेरियन डिलिवरी की दर 10-15% तक सामान्य होती है. कई अध्ययनों से पता चलता है कि प्रसव के दौरान ऑपरेशन मृत्यु और जटिलताओं की संभावना बढा सकती है.
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सीजेरियन डिलिवरी से कई बार मां बच्चे को होता है खतरा
उक्त विषय पर जानकारी देते हुए डॉक्टर शशि भूषण ने बताया कि बाकी सभी सर्जरी की तरह सी सेक्शन भी काफी जटिल होती हैं. कई केस में सी-सेक्शन, बच्चे और मां दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. परेशानियां सर्जरी के दौरान या रिकवरी के दौरान दोनों परिस्थिति में हो सकती हैं, इसलिए सीजेरियन डिलिवरी को आखिरी ऑप्शन की तरह देखा जाता है.
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