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नगर निगम या नगरपालिका पर चुनी हुई समिति की बात मानना बाध्यकारी नहीं होगा

Ranchi :  मेसा बिल में प्रस्तवित संशोधन पारित होने के बाद नगर निगम या नगर पालिका चुनी हुई समिति की अनुशंसा मानने के लिए मजबूर नहीं होगा. सरकार की ओर से इससे संबंधित संशोधन प्रस्ताव आज (21 मई) होने वाली ट्राईबल एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) की बैठक में पेश किया जा रहा है. 20 मई को Lagatar पर भूलवश यह प्रकाशित हो गया था कि नगर निगम या नगर पालिका में मेयर या अध्यक्ष आदिवासी नहीं होगा. हमने उस खबर में सुधार कर दिया है. हमें इस भूल का खेद है. जानकारी के मुताबिक राज्य में मेसा के तहत किये गये प्रावधान के अनुसार आदिवासी बहुल क्षेत्रों के नगर निगम या नगरपालिका में गठित की जाने वाली समिति का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष आदिवासी होगा. इस समिति की अनुशंसा को मानना, नगर निगम या नगरपालिका पर बाध्यकारी होगा.  भारत सरकार की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार की ओर से टीएसी की बैठक में इस प्रावधान में आंशिक संशोधन का प्रस्ताव पेश किया जा रहा है. इसके तहत निगर निगम, नगरपालिका में गठित की जाने वाली समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति समुदाय से होगा. लेकिन इस समिति की अनुशंसा मानने के लिए नगर नगर या नगर पालिका मजबूर नहीं होगा.  टीएसी की बैठक में सिर्फ अनुशंसा मानने की बाध्यता को समाप्त करने के लिए प्रस्ताव पेश किया जा रहा है.