Patna: बिहार सरकार गैर-आरक्षित श्रेणी के लोगों को भी जाति प्रमाण-पत्र देगी. उन्हें अब गैर-आरक्षित वर्ग का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, जिसमें उनकी जाति का जिक्र होगा. इस संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है. आदेश की प्रति सभी जिलाधिकारियों और बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के अपर निदेशक को दी गई है. यह आदेश तुरंत लागू होगा. उसके बाद अब गैर-आरक्षित श्रेणी के लोगों के लिए भी जाति प्रमाण-पत्र जारी होगा. जांच के बाद अगर वे आर्थिक रूप से कमजोर पाए जाते हैं, तो उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा. इसका उपयोग सरकारी सेवाओं में आरक्षण की सुविधा हासिल करने के लिए होगा.
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दो भागों में आबादी कर वर्गीकरण
राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिहाज से पूरी आबादी का वर्गीकरण दो हिस्से में किया गया है. एक श्रेणी उन लोगों की है, जो पहले से ही आरक्षण की श्रेणी में हैं. इनमें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग शामिल हैं. दूसरी श्रेणी सवर्ण बिरादरी की है, इनमें ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार एवं कायस्थ, सैय्यद, शेख एवं पठान शामिल हैं. सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले साल सिंधी और खत्री जाति को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश सामान्य प्रशासन विभाग से की थी.
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गैर-आरक्षित वर्ग की पहली सूची
बिहार में अब तक गैर-आरक्षित वर्ग की कोई सूची नहीं है. सरकार के ताजा आदेश में कहा गया है कि तमाम जातियां जो पहले से किसी आरक्षित वर्ग की सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें गैर-आरक्षित वर्ग की सूची में शामिल किया जाए. यह नई सूची होगी. प्रशासनिक सुधार मिशन को कहा गया है कि वह गैर-आरक्षित वर्ग के लोगों को भी जाति प्रमाण-पत्र दे. उस पर आवेदक की जाति का जिक्र होगा.
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आरक्षण के लाभ के लिए जरूरत
राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी सेवाओं में 10 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है. सामान्य प्रशासन विभाग ने 26 फरवरी, 2019 को इससे संबंधित आदेश जारी किया था. लेकिन अब तक जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की कोई स्पष्ट नीति नहीं बनी थी. ताजा आदेश के बाद अब अंचल में तैनात सक्षम अधिकारी इन वर्गों के लिए जाति प्रमाण-पत्र जारी कर सकेंगे. इससे सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों के दाखिले में उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा.
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