AHPI ने कहा- मई के आखिर तक रांची में स्थिति बेहतर होने की उम्मीद
रांची में मरीजों की संख्या में तेजी से आ रही गिरावट
Ranchi : निजी अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि उनके यहां मरीजों की भीड़ में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के लिए मरीजों की जो भीड़ एक सप्ताह पहले तक रहती थी वो अब बिलकुल आधी हो गई है. अब यहां स्थिति नियंत्रित होती दिख रही है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो एक सप्ताह पहले तक रांची में 1700 तक मरीज मिल रहे थे. जो अब घटकर 1000 के नीचे चला गया है.
रांची में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में आई गिरावट
एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI ) के झारखंड चैप्टर के प्रेसिडेंट योगेश गंभीर ने बताया कि रांची में संक्रमितों की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि ये एक अच्छी और बड़ी वजह कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या में कमी आई है. उन्होंने बताया कि मई के आखिर तक स्थितियां बेहतर होने की उम्मीद है.
देर से ही सही लेकिन सरकारी तंत्र में आई तेजी
योगेश गंभीर ने बताया कि मरीजों का ग्राफ नीचे आने के साथ-साथ सरकारी स्तर पर तेजी से बेड की संख्या बढ़ाई गई हैं. एक महीने में केवल रांची में ही 1,147 ऑक्सीजन बेड तैयार किए गए हैं. वहीं लगभग 500 से ज्यादा आईसीयू बेड तैयार किए गए हैं. फिलहाल रांची में 2360 ऑक्सीजन सपोर्टेड और 810 आईसीयू बेड हैं. 12 अप्रैल तक रांची के निजी व सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त सिर्फ 943 और आईसीयू बेड की संख्या 338 थी.
मेडिका खेलगांव में खोलना चाहता था अस्थाई कोविड हॉस्पिटल
रांची में लगातार मरीजों की संख्या को देखते हुए निजी अस्पताल सरकार के साथ मिलकर अस्थाई कोविड हॉस्पिटल तैयार करने पर विचार कर रही थी. रांची के रातू रोड में प्रॉमिस हेल्थकेयर की तरफ से इसकी शुरुआत भी हुई थी. मेडिका खेलगांव में बड़े स्तर पर इसे खोलना चाह रहा था. कुछ होटल को भी कोविड हॉस्पिटल में बदलने की तैयारी थी. लेकिन मरीजों की संख्या कम होने के साथ ही इसे कम कर दिया गया है.
क्या कहा निजी अस्पतालों के संचालकों ने
मेडिका प्रंबधन ने कहा ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के लिए आने वाले मरीजों की संख्या पिछले एक सप्ताह में 50 फीसदी से कम हो गई है. पहले जो भीड़ रहती थी वो अब धीरे-धीरे कम हो रही है. देवकमल हॉस्पिटल के डायरेक्टर अनंत सिन्हा ने कहा कि आईसीयू के लिए अभी भी परेशानी हो रही है लेकिन ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड का डिस्ट्रिव्युशन हो जाने से भीड़ कम हो गई है. हालांकि एक्सपर्ट कहते हैं कि झारखंड में अभी भी दूसरी लहर का पीक आना बाकी है.