Ranchi : कोरोना काल के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लोगों को रोजगार देने और पलायन रोकने के मकसद से कई योजनाओं की शुरुआत की. इनमें मनरेगा पर सरकार का काफी जोर था. छोटी-छोटी योजनाओं को मनरेगा में शामिल किया गया. ताकि घर लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिले और पलायन रुके. लेकिन राज्य की उप राजधानी और जेएमएम के गढ़ दुमका में ही अधिकारी योजनाओं में पलीता लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अब दुमका डीडीसी डॉ. संजय सिंह ने मामले को लेकर रानीश्वर बीडीओ समेत दो और अधिकारियों को शो-कॉज किया है.
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साढ़े सात करोड़ की 236 योजनाएं, पूरी हुईं 30, पांच करोड़ खर्च
इस आंकड़े से ही समझ में आ जाता है कि कैसे मनरेगा की योजनाओं में लूट हो रही है. 2018 से लेकर 2021 तक दुमका के रानीश्वर प्रखंड में 236 योजनाओं के लिए 7.5 करोड़ का बजट तय किया गया. 2020-2021 वित्त वर्ष खत्म होने को है, लेकिन अभी तक सिर्फ 30 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं. लेकिन साढ़े 7 करोड़ में से पांच करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. अभी भी 230 योजनाएं पूर्ण होनी बाकी है. इन 230 योजनाओं के लिए महज 2.5 करोड़ रुपये ही बचे हैं.
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बीडीओ ने मजदूरी से ज्यादा पैसा सामान खरीदने में बर्बाद किया
मनरेगा कानून के मुताबिक किसी 100 रुपये की योजना के लिए 40 रुपये सामग्री और 60 रुपये मजदूरी पर खर्च किये जाते हैं. ऐसा इसलिए कि मनरेगा मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा काम मिल सके. साथ ही कमीशनखोरी पर भी लगाम लगे. लेकिन रानीश्वर प्रखंड में बीडीओ ने सारे नियम और कानून को ताक पर रखकर मनरेगा बजट की राशि का 76 फीसदी सिर्फ सामग्री खरीदने पर खर्च कर दिया. बजट के 60 फीसदी के बदले मजदूरी पर सिर्फ 22 फीसदी राशि खर्च की गयी.
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बीडीओ, बीपीओ और जेई को डीडीसी का शो-कॉज
रानीश्वर प्रखंड में योजनाओं की शिकायत जिला प्रशासन को मिली. पूरे मामले की जांच करायी गयी. पाया गया कि सभी मामलों में घोर अनियमितता बरती गयी है. इसके बाद डीडीसी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ), प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) और कनीय अभियंता (जेई) को शो-कॉज किया गया है. लेकिन इस बीच लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि इससे पहले डीसीसी रहे दो आईएएस अधिकारी और राज्य सेवा के एक पदाधिकारी को इन अनियमितता का पता क्यों नहीं चला.
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