NewDelhi : सरकारी अधिकारी अदालत की अवमानना के बारे में चिंता न करें, क्योंकि पुलिस मेरे नियंत्रण में है और ऐसे में किसी को जेल भेजना आसान नहीं है. यह बोल त्रिपुरा के CM बिप्लब कुमार देब के हैं. खबर है कि देब ने पिछले दिनों त्रिपुरा सिविल सर्विस ऑफिसर्स एसोसिएशन के द्विवार्षिक सम्मेलन में कहा था कि अधिकारियों का एक वर्ग इस तरह अदालत की अवमानना का हवाला दे रहा है जैसे कि यह अवमानना कोई बाघ हो, लेकिन वास्तव में मैं बाघ हूं.
.@BjpBiplab is a DISGRACE to the entire nation!
He shamelessly mocks Democracy, MOCKS the Hon’ble JUDICIARY and seemingly gets away with it!
Will the SUPREME COURT take cognizance of his comments that reflect such grave disrespect? pic.twitter.com/0qEAdBQ54r
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) September 26, 2021
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भाजपा शासन में लोकतंत्र दांव पर है
देब की इस टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्ष ने हल्ला बोलते हुए कहा कि भाजपा शासन में लोकतंत्र दांव पर है. बिप्लब कुमार बीते शनिवार को राजधानी अगरतला के रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा, आजकल अधिकारियों का एक वर्ग अदालत की अवमानना से डरता है. वे अदालत की अवमानना का हवाला देते हुए यह कहकर किसी फाइल को नहीं छूते हैं कि परेशानी खड़ी हो जायेगी. अगर मैं ऐसा करता हूं तो मुझे अदालत की अवमानना के लिए जेल भेजा जायेगा.
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बयान पर कार्यक्रम में खूब तालियां बजीं
उन्होंने पूछा, अदालत की अवमानना के आरोप में अब तक कितने अधिकारियों को जेल भेजा गया है? मैं यहां हूं, आप में से किसी को भी जेल भेजे जाने से पहले मैं जेल जाऊंगा. इस क्रम में देब ने कहा कि किसी को जेल भेजना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए पुलिस की जरूरत होती है. और मैं पुलिस को नियंत्रित करता हूं. बता दें कि देब राज्य के गृह मंत्री भी हैं. उनके बयान पर कार्यक्रम में खूब तालियां बजीं.
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर एक पूर्व मुख्य सचिव के साथ अपने अनुभव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, हमारे एक मुख्य सचिव ने कहा कि अगर वह सिस्टम से बाहर काम करते है तो उन्हें अदालत की अवमानना के लिए जेल भेजा जायेगा. फिर मैंने उन्हें जाने दिया.
सीएम न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते
सीएम के बयान पर विपक्षी दल माकपा ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से पता चलता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते हैं. माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा, ‘यह दर्शाता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते, जो लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है. उनके शासन में लोकतंत्र दांव पर है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने कहा, यह बहुत ही आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है. किसी राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद की कुर्सी संभालने वाला व्यक्ति ऐसी टिप्पणी कैसे कर सकता है, जो पूरी तरह से संविधान की भावना के खिलाफ हो! यह संविधान की भावना का दुरूपयोग करना है.
मुख्यमंत्री ने अदालत और कानून के शासन को कमजोर किया
मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर अदालत और कानून के शासन को कमजोर किया है. इससे उन उपद्रवियों, असामाजिक तत्वों को प्रोत्साहन मिलेगा जो पिछले साढ़े तीन वर्षों से शांति भंग कर रहे हैं, जो कि राज्य के लिए एक बड़ा खतरा है. तृणमूल कांग्रेस ने भी हल्ला बोला है. टीएमसा के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, बिप्लब देब पूरे देश के लिए एक अपमान हैं! वह बेशर्मी से लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाते हैं, माननीय न्यायपालिका का मज़ाक उड़ाते हैं. क्या सर्वोच्च न्यायालय उनकी टिप्पणियों का संज्ञान लेगा?
भ्रामक प्रचार फैलाने से पहले पूरा भाषण सुनना चाहिए
इस प्रकरण पर सीएम के मीडिया सलाहकार संजय मिश्रा ने बनर्जी को जवाब देते हुए ट्वीट किया, आपको अपना भ्रामक प्रचार फैलाने से पहले पूरा भाषण सुनना चाहिए, जो आपने अपने राजनीतिक गुरु माकपा से सीखा है. सरकारी संस्थानों के लिए आपके मन में कितना सम्मान है, यह हम सभी जानते हैं.
अदालत लोगों के लिए है, लोग अदालत के लिए नहीं हैं
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का हवाला देते हुए बिप्लब देब ने अपने भाषण में यह भी कहा था कि अदालत विधायिका में बने कानूनों को लागू करने वाली एजेंसी है.उन्होंने कहा, ‘अदालत लोगों के लिए है और लोग अदालत के लिए नहीं हैं. एक बार (पूर्व) अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने यह बात तब कही थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 11 सांसद अपने पदों पर नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि वे अपने पदों पर ही रहेंगे, क्योंकि सांसदों का काम कानून बनाना है. आप (अदालत) कानून लागू करने के लिए हैं. उन्होंने कहा था कि अदालत हमारे द्वारा बनाये गये कानूनों को लागू करने वाली एजेंसी है.