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NLU जनहित याचिका, फंड देने के निर्णय में देरी पर हाईकोर्ट ने कहा “यह अदालत की अवमानना जैसा”

Ranchi: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड दिए जाने के मामले पर सरकार की ओर से निर्णय लेने में देरी और इस मामले पर गंभीरता नहीं दिखाए जाने पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने फिर एक बार अपनी नाराजगी जतायी. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि सरकार का यह रवैया कोर्ट की अवमानना जैसा है. कोर्ट ने काफी पहले ही सरकार को एनएलयू को सभी संसाधन और जरूरतें पूरा करने का निर्देश दिया था. बावजूद इसके कैबिनेट ने वन टाइम फंड देने का निर्णय लिया. यह गंभीर मामला है. सरकार को अपना रवैया बदलना होगा. इसके बाद सरकार ने कहा कि एनएलयू को आधारभूत संरचना और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार विचार कर रही है. जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा. इसे भी पढ़ें-पढ़िये,">https://lagatar.in/read-tmc-mp-mahua-moitras-speech-in-the-lok-sabha-which-has-created-uproar-in-the-ruling-party/26203/">पढ़िये,

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इसके लिए दो सप्ताह का समय चाहिए. सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने कहा कि उम्मीद है कि अगली बार सरकार सकारात्मक निर्णय के साथ शपथपत्र दाखिल करेगी. अदालत ने सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित कर दी. बता दें की  हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने गुरुवार को बार एसोसिएसन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी मौखिक रूप से की है. रांची के नगड़ी स्थित एनयूएसआरएल को लेकर हाईकोर्ट काफी संजीदा है और लगातार">http://lagatar.in">लगातार

इस मामले में न सिर्फ नजर बनाये हुए है, बल्कि कोर्ट गंभीरता से इस मामले की सुनवाई कर रहा है. अब अदालत ने 2 सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इसे भी देखें-  

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