Ranchi : पिछले वर्ष लॉकडाउन के बाद विद्यालयों को आनन-फानन में ऑनलाइन क्लास का सहारा लेना पड़ा, अब इस बात को एक साल से भी ज्यादा समय बीत गए हैं. तब से अब तक ऑनलाइन क्लास लेने के तरीके में कई बदलाव भी हुए हैं. वहीं, कोरोना के बाद राज्य में अभिभावकों की आमदनी घटी है. ऐसे में कई अभिभावक फीस देने में सक्षम नहीं है. इन सभी विषयों पर lagatar. in राज्य के विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपल की राय जानने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में हमने बूटी मोड़, रांची के मनन विद्या की प्रिंसिपल रेखा नायडू और बरही, हजारीबाग के श्रीदास इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक रोहित सिंह से बात की.
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पिछले साल ऑनलाइन क्लास में दिक्कतें आयी थीं
स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा देने के सवाल पर मनन विद्या रांची की प्रिंसिपल रेखा नायडू ने कहा कि पिछले वर्ष जब ऑनलाइन क्लास शुरू करने में कुछ दिक्कतें आईं. शिक्षक और छात्र सभी के लिए यह नया अनुभव था, लेकिन इस साल के लिए स्कूल ने पहले से तैयारी कर ली थी. स्कूल द्वारा शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित टेक्नोलॉजी पर ट्रेनिंग दी गयी, जिससे वे बेहतर तरीके से पढ़ा पा रहे हैं. पिछले साल ऑनलाइन क्लास के लिए व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इस बार नये-नये एप का इस्तेमाल किया गया, ताकि पढ़ाई की गुणवत्ता को सुधारा जाए. साथ ही विद्यालय अभिभावकों से भी वर्चुअल माध्यम से संपर्क में हैं. इससे बच्चों की प्रॉब्लम को समझने में आसानी हो रही है और उसे दूर किया जा रहा है.
बरही के श्रीदास स्कूल के प्रबंधक ने कहा- जारी है ऑनलाइन क्लास
वहीं बरही के श्रीदास इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक रोहित सिंह ने कहा कि कोरोना ने पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है. स्कूल भी इससे अछूता नहीं रहे. ऑनलाइन क्लास जारी है, किंतु ग्रामीण इलाका होने के कारण 40 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन क्लास की सुविधा ले रहे हैं. नेटवर्क समस्या और अन्य समस्याओं के कारण बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.
ऑनलाइन क्लास ट्रेडिशनल पढ़ाई का विकल्प नहीं
प्रिंसिपल रेखा नायडू कहती हैं कि हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था में सुधार हुआ है, लेकिन यह पारंपरिक शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता. फिजिकल क्लास नहीं होने के कारण बच्चों के रूटीन लाइफ में अंतर आ गया है. सुबह समय पर उठना, समय पर स्कूल आना, टिफिन खाना, दोस्तों के साथ समय बिताना जैसी एक्टिविटी नहीं हो पा रही है. साथ ही जिन बच्चों के माता-पिता दोनों वर्किंग हैं, उनका गाइडेंस ठीक से नहीं हो पा रहा है. लगातार मोबाइल का इस्तेमाल करना भी बच्चों के दृष्टिकोण से ठीक नहीं है.
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अभिभावकों से समन्वय बनाया जा रहा है
स्कूल फीस के सवाल पर प्रिंसिपल रेखा नायडू ने कहा कि कोविड के बाद से सिर्फ ट्यूशन फीस ली जा रही है. वह भी सभी अभिभावक नहीं दे पा रहे है. इस से परेशानी तो है. क्योंकि यहां भी शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को सैलरी देनी होती है. फिर भी सभी मे समन्वय बना कर बेहतर से बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है.

स्कूल फीस के सवाल पर श्रीदास इंटरनेशनल स्कूल की ओर से कहा गया कि ग्रामीण इलाका और मासिक शुल्क के प्रति नकारात्मक प्रचार के कारण अभिभावक शुल्क देने में आनाकानी कर रहे हैं. कई लोग वाकई कोरोना काल में रोजगार चले जाने के कारण मजबूर हैं. वहीं कुछ लोग जानबूझ कर फीस देना नहीं चाहते हैं.