Shivendra
11 जून को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का 74वां जन्मदिन है. यूं तो लालू को उनके सियासी जीवन की कई ऐतिहासिक किस्सों और फैसलों के लिए जाना जाता है, मगर आज हम आपको उनके ऐसे फैसले के बारे बता रहे हैं, जिसका असर रोजाना आपके जीवन पर पड़ता है. कहते हैं कि सबसे पहले लालू यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही स्पीड ब्रेकर्स पर रोक लगाई थी. क्योंकि उनके हिसाब से ग्वाले जब साइकिल पर दूध लेकर निकलते थे तो स्पीड ब्रेकर पर छलक कर दूध की बड़ी बर्बादी होती थी.
हम ये किस्सा आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि, अगर आप भारत में रहते हैं तो आपने भी कभी ना कभी गाड़ी में बैठे बैठे ऊंट पे बैठने का आनंद जरूर लिया होगा. आपकी भी गाड़ी ने सड़कों पर हिचकोले जरूर मारे होंगे. अगर हां तो मुझे ये बताने कि कोई आवश्यकता नहीं कि दोस्तों हम बात कर रहे हैं स्पीड ब्रेकर की, जिससे गुजरने पर ये समझ नहीं आता कि गाड़ी स्पीड ब्रेकर से चल कर आयी या कूदकर. यत्र- तत्र-सर्वत्र ये स्पीड ब्रेकर कुकुरमुत्ते की तरह सिर उठाये देश भर में मिल जाते हैं. रफ्तार को रोकने का ये एक ट्रेडीशनल तरीका है. मगर आपको हैरानी होगी कि गाड़ी की रफ्तार को रोकने के लिए बनाये जाने वाले ये स्पीड ब्रेकर्स कई बार जिंदगी की रफ्तार को ही रोक देते हैं. यानी ये जानलेवा होते हैं. भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक दोषपूर्ण और अवैज्ञानिक स्पीड ब्रेकर के कारण एक दिन में 9 लोगों की जान जाती है और रोजाना लगभग 30-50 दुर्घटनाएं होती हैं.
एक रिपोर्ट कहती है कि स्पीड ब्रेकर बसों और अन्य गाड़ियों में यात्रा करने वालों के लिए समान रूप से घातक साबित हो सकते हैं. मसलन, जून 2016 में, स्पीड ब्रेकर से टकराने की वजह से पीएमपीएमएल की बस से गिरे 20 साल के सिविल इंजीनियर की फुगेवाड़ी में पुणे-मुंबई राजमार्ग पर मौत हो गयी थी उसी दिन चिंचवाड़ की रहने वाली एक युवती बस से गिर गयी और उसके सिर में गंभीर चोट लगी. कुछ दिनों बाद उसका निधन हो गया. सिर्फ दुर्घटना ही नहीं, बल्कि अनसाइनटिफिक तरीके से बने इन स्पीड ब्रेकर से गाड़ियों के पार्ट्स, जैसे फ्रंट बंपर, ऑयल चैंबर, सस्पेंशन, टायर जैसे पार्ट्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.
आइये कुछ आंकड़ों पर नजर डालते हैं. साल 2015 में स्पीड ब्रेकर्स की वजह से 3409 लोगों की मौत हो गयी थी. 2016 में यह संख्या घटकर 3396 हो गयी. जबकि वर्ष 2015 में ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से कुल मिलाकर 2937 लोगों की मौत हुई. यानी दुनिया के कई देशों में सड़क दुर्घटनाओं में जितने लोग मारे जाते हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग भारत में सिर्फ स्पीड ब्रेकर की वजह से जान गंवा बैठते हैं.
सौ बात की एक बात है कि अपने यहां बने स्पीड ब्रेकर्स के पीछे न तो कोई वैज्ञानिक सोच है न आधार. गली-मोहल्ले में जिसको जैसी मर्जी, सड़क पर एक टीला खड़ा कर देता है और नाम दे देता है स्पीड ब्रेकर. मतलब अपने घर के आगे बरसात का पानी ना जमा हो तो पड़ोसी के दरवाजे पर स्पीड ब्रेकर बना दो. ऐसा सिर्फ भारत में होता है. एक हालिया रिसर्च के मुताबिक ये स्पीड ब्रेकर ध्वनि प्रदूषण को भी बढ़ावा देते हैं. अब आप सोचेंगे कि अरे भाई जब इतना नुकसान है, तो इसको प्रतिबंधित क्यों नहीं कर देती सरकार. तो सुनिए, दरअसल भारतीय सड़क कांग्रेस यानि आईआरसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक एक आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और वृत्ताकार क्षेत्र यानी कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए. साथ ही ड्राइवर को सचेत करने के लिए स्पीड ब्रेकर आने से 40 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए. स्पीड ब्रेकर पर थर्मोप्लास्टिक पेंट से पट्टियां बनाई जाएंगी ताकि रात में उन्हें आसानी से देखा जा सके.
स्पीड ब्रेकर का मकसद है गाड़ियों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना, ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किये जा सकें. पर जो स्पीड ब्रेकर कागज पर है, वह हिंदुस्तान की सड़क पर शायद ही कहीं दिखाई दे. बाकी देश को छोड़िए, राजधानी दिल्ली को ही देखिए, तो मई 2016 में दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी को आदेश दिया था कि दिल्ली की सड़कों से अवैध स्पीड ब्रेकर को तुरंत हटाया जाये. लेकिन दिल्ली सरकार ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद जनवरी, 2018 में दिल्ली हाइकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को फटकार लगायी थी.
तो क्या इस समस्या का कोई इलाज नहीं है? बिल्कुल है. भारत स्पेन की कंपनी से सीख ले सकता है, जिसने स्पेन के लिए लिक्विड ब्रेकर बनाया है. यह ना तो गाड़ी को नुकसान पहुंचाता है और ना ही चालक को. इसके अलावा दुनिया कई तरह के स्पीड ब्रेकर का इस्तेमाल कर रही है जैसे कि, थ्रीडी स्पीड ब्रेकर, एलइडी स्पीड ब्रेकर, एंटीबंप, एंटी स्पीडिंग सिस्टम, पावर जेनेरेटर स्पीड ब्रेकर आदि. इन तकनीकों से हमारे लोगों की जान भी बचाई जा सकती है और गाड़ियों को भी नुकसान होने से बचाया जा सकता है. भारत में स्पीड ब्रेकर्स की वजह से हर साल करीब 10 हज़ार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. आज जरूरत है कि लालू यादव के उस फैसले को सिर्फ ग्वालों के लिए नहीं, बल्कि हर एक नागरिक के लिए जरूरी मानते हुए कदम उठाये जायें.