रांची, जमशेदपुर और धनबाद में 50 से 60 चाइल्ड डेडीकेटेड बेड की तैयारी
Ranchi: झारखंड अभी कोरोना की दूसरी लहर से उबरा भी नहीं है कि तीसरी लहर की चेतावनी ने सरकार और जनता को चिंता में डाल दिया है. तीसरी लहर से लड़ने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के सभी जिलों के सदर अस्पतालों में बच्चों के लिए कोविड डेडीकेडेड बेड बनाने शुरू कर दिये गये हैं. लेकिन शुरुआती तैयारी देखकर यहीं लग रहा है कि दूसरी लहर की तैयारियों की तरह तीसरी लहर की तैयारी भी फिसड्डी साबित होगी. तीसरी लहर में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों के संक्रमित होने आशंका है. इनमें से 10 फीसदी बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है. इस लिहाज से बड़े पैमाने पर तैयारी की जरूरत है, लेकिन जिलों के सदर अस्पतालों में सिर्फ 10 से 20 चाइल्ड बेड वाले वार्ड के इंतजाम किये जा रहे हैं.
तीसरी लहर आते ही दूसरे दिन ही नो बेड की स्थिति हो सकती है पैदा
चतरा, सिमडेगा, खूंटी, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा, पाकुड़, गढ़वा समेत कई जिलों में 10 चाइल्ड डेडीकेडेड वार्ड बनाये जा रहे हैं. लोहरदगा समेत कुछ जिलों में 20 बेड के वार्ड बन रहे हैं. रांची सदर अस्पताल में 40 से 60 बेड का चाइल्ड डेडीकेटेड वार्ड बनने वाला है. धनबाद और जमशेदपुर में भी 50 से ज्यादा बेड लगाने की तैयारी चल रही है. अबतक जो तैयारी दिख रही है उस हिसाब से कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए राज्यभर में करीब 450 चाइल्ड डेडिकेटेड बेड ही उपलब्ध होंगे. जबकि तीसरी लहर में हर दिन 3000 से ज्यादा बच्चे संक्रमित हो सकते हैं. इनमें से 300 से ज्यादा बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति बन सकती है. ऐसे में तीसरी लहर के आते ही सरकारी व्यवस्था धराशाई हो सकती है. तीसरी लहर शुरू होते ही दूसरे दिन अस्पतालों में नो बेड वाली स्थिति पैदा हो सकती है.
दूसरी लहर से भी ज्यादा तेज होगी तीसरी लहर
यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर दूसरी से भी ज्यादा तेज होगी.शून्य से 14 साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आ सकते हैं. दूसरी लहर जब राज्य में पीक पर था तब हर रोज 6000 से 7000 नये केस सामने आ रहे थे. अगर तीसरी लहर में इतने ही केस सामने आये तो उनमें से आधे यानी 3000 से 3,500 संक्रमित बच्चे होंगे.
समय रहते 2500 बेड बढ़ाने की जरूरत
तीसरी लहर में बच्चों को भर्ती करने के लिए प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटलों में कम से कम 3000 बेड की आवश्यकता है, जबकि करीब 450 बेड की ही व्यवस्था है. सरकार को समय रहते कम से कम 2500 और बेड बढ़ाने की जरूरत है. क्योंकि अगर हर रोज 300 बच्चे भी अस्पताल में भर्ती होते हैं तो उन्हें स्वस्थ होने में कम से कम 10 दिन लगेगा. ऐसी स्थिति में 3000 बेड से कम होने पर दूसरी लहर की तरह ही पैनिक बढ़ सकता है. इसके अलावा समय रहते चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ानी पड़ेगी.
दूसरी लहर में भी 45 दिन में 3000 से ज्यादा बच्चे हुए संक्रमित
कोरोना की दूसरी लहर में भी कम बच्चे संक्रमित नहीं हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पिछले 45 दिनों में 3000 से ज्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं. इनमें से रांची में 1800, बोकारो में 275, पूर्वी सिंहभूम में 757, देवघर में 167, गिरिडीह में 90 और धनबाद में 127 बच्चे संक्रमित शामिल हैं. हालांकि संक्रमित बच्चों ने तेजी से रिकवर भी किया.
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