Ranchi : कोरोना महामारी की दूसरी लहर और संक्रमण बढ़ने बाद कोरोना योद्धा की तरह कार्य करनेवाले डाक कर्मी बदहाली की आंसू रो रहे हैं. उन्हें वेतन के लाले पड़े हैं. विभाग में आउटसोर्सिंग पर ड्यूटी करनेवाले ये डाक कर्मी संक्रमण के दौरान नियम संगत पूरी वेतन पाने से भी वंचित हैं.
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कर्मियों का वेतन प्रत्येक दिन का 373 रू फिक्स है
आरएमएस के कर्मी कन्हैया कुमार ने बताया कि वह आठ साल से यहां काम कर रहा है. इस संक्रमण के दौरान दिन रात काम करने के बाद भी पिछले कई महीनों से वेतन लंबित था. अभी भी मई महीने का वेतन बकाया है. महंगाई के इस दौर में यहां के कर्मियों का बुरा हाल है. डाक विभाग के आरएमएस में ही दस-बारह साल से लेकर दो-चार साल के पुराने सभी कर्मी समान वेतन पाते हैं. कर्मियों का वेतन प्रत्येक दिन का 373 रू फिक्स है, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है.
कन्हैया ने बताया कि इतने वर्षों से ड्यूटी करने के बाद भी उसे केवल 373 रू प्रति दिन के हिसाब से वेतन मिलते हैं. जबकि सरकार की न्यूनतम मजदूरी 431 रुपए से लेकर 645 रू निर्धारित है. इस लिहाज से कर्मी को 645 रू वेतन प्रतिदिन के स्थान पर केवल 373 रू का ही भुगतान होता है.
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महामारी के दौरान इन कर्मियों को छुट्टी नहीं दी गई
कर्मियों के अनुसार अनुपस्थित होने पर पैसे काट लिए जाते हैं. संक्रमण के दौरान अधिकांश कार्यों को आउटसोर्सिंग के कर्मियों ने निपटाया है. उचित मांग करने पर कर्मियों को किसी न किसी बहाने बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. मजेदार बात है कि यहां मजदूरों को आउटसोर्सिंग करने के लिए कोई संवेदक नहीं है. यहां विभागीय स्तर से ही आउटसोर्सिंग किए गए हैं. महामारी के दूसरी लहर के दौरान इन कर्मियों को छुट्टी नहीं दी गई. हर दिन इनसे काम लिया गया. अप्रैल में पूरे दिन कार्य करने के बाद भी इन्हें वेतन नहीं दी गई. मजबूरीवश ये कर्मी महामारी के इस पीक दौर में जान की परवाह नहीं करते हुए डाक-पार्सल से जुड़े कार्यों को निपटाया.
राज्यभर में आरएमएस और डाकघरों को मिलाकर करीब दो हजार कर्मियों की यहीं पीड़ा है. कोरोना संक्रमण के दौरान इन कर्मचारियों से ही काम लिया गया. जबकि कार्यालय के बड़े बाबू से लेकर बड़े अधिकारी तक रोस्टर ड्यूटी और 50 फीसदी कर्मियों के आधार ड्यूटी लगायी गई.
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आउटसोर्सिंग पर बहाल लोगों से काम लिया जा रहा है
इस मामले पर डाक परिमंडल के अधिकारी शमीम अख्तर ने बताया कि राज्य के विभिन्न स्थानों पर में स्थित आरएमएस में आउटसोर्सिंग पर बहाल लोगों से काम लिया जा रहा है. विभिन्न आरएमएस यूनिट के अधिकारी इस के बारे में बता सकते हैं. लेकिन जब आरएमएस के सुपरिटेंडेंट एसएन सिंह से संपर्क किया गया तो उनका फोन स्विच ऑफ मिला.
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संकट के दौर में वेतन लंबित रहने से परेशानी होती है
कोरोना संक्रमण के दौरान हम लोगों ने हर दिन काम किया है. इस संकट के दौर में भी वेतन लंबित रहने से परेशानी होती है अभी भी मई महीने का वेतन बकाया है- राजू, डाककर्मी, आरएमएस
हम लोगों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन दिया जा रहा है. अधिकारी आश्वासन देते हैं कि बढ़ाया जाएगा. एक दिन अनुपस्थित हुआ तो वेतन काट लिया जाता है. इस पर भी कभी-कभी वेतन का भुगतान महीनों बाद होता है-हरिराम, आरएमएस कर्मी
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