Sanjeet Yadav
Palamu : तरहसी सहित पूरे जिले में सरकारी विद्यालयों को रंग रोगन कर नया स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए विद्यालय भवनों के ऊपर पेंट किया जा रहा है, लेकिन इस कार्य में बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है. सारा खेल कमीशन का है. इसमें बीआरसी से लेकर प्रखंड स्तर के बड़े कर्मचारी शामिल हैं. सामान देने वाली एजेंसी का भी इसमें बड़ा रोल है. पेंट सामग्री घटिया लगाई जा रही है और बिल वाउचर में कंपनी का पेंट दिखाकर भारी भरकम बिल थमाया जा रहा है. और बिना स्थल जांच किए भुगतान भी धड़ल्ले से हो रहा है. एक अनुमान के अनुसार 12 से 15 प्रतिशत कमीशन का खेल इसमें चल रहा है. कमीशन के इस खेल के कारण विद्यालयों का स्वरूप कैसे निखर कर सामने आएगा. इसकी आप कल्पना कर सकते हैं.
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काम में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही
जानकारी के अनुसार केवल तरहसी प्रखंड क्षेत्र में प्राथमिक मध्य एवं हाई स्कूल स्तर के 103 विद्यालय चलते हैं. इसमें 44 उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दो पुराना हाई स्कूल, प्राथमिक और न्यू प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं. विद्यालयों में कोटि के अनुसार पेंट करने के लिए भुगतान करना है. पेंट हो जाने के बाद स्थल निरीक्षण किया जाना है. बावजूद इसमें पारदर्शिता नहीं बऱती जा रही है. विभागीय सूत्रों के अनुसार करीब 45 लाख रुपए रंग रोगन कार्य में खर्च करने के लिए ग्रांट में आया है. 1-2 विद्यालयों में एरर है, लेकिन उसे भी ठीक करने की कोशिश की जा रही है.
ऐसे चल रहा चूना लगाने का खेल
शिक्षा विभाग के अनुसार नए विद्यालयों में अपेक्स एशियन पेंट लगाना है. पुराने स्कूल भवनों को एशियन एससीई पेंट से आकर्षक रूप देना है. इसी तरह विद्यालयों में बने नए पुराने शौचालय को भी रंगना है. यहां बता दें कि प्रखंड क्षेत्र में एक भी नया विद्यालय भवन नहीं बना है. ऐसे में केवल पुराने विद्यालयों की सूरत ही बनाई जा रही, लेकिन कहीं मरम्मत नहीं हो रही है. विभाग के मानक के विपरीत जाकर स्पार्क-एशियन, ट्रैक्टर-यूएनओ कंपनी का पेंट लगाया जा रहा है. पेंट के जितने भी डिब्बे विद्यालयों में भेजे जा रहे हैं उसके एमआरपी के ऊपर पेंट कर दिया गया है, ताकि उसका रेट सार्वजनिक ना हो पाए. ऐसा केवल एमएस निशा ट्रेडर्से के द्वारा ही किया जा रहा है, ताकि कमीशन का खेल परवान चढ सके. पेंट खरीदने में भी मनमानी की जा रही है. एक ही एजेंसी एमएस निशा ट्रेडर्स से पेंट सामग्री लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है. इसमें बीआरसी का एजेंसी के साथ गठजोड़ सामने आ रहा है.
क्या है रेट का खेल ?
इस मामले में रेट का बड़ा खेल खेला जा रहा है. उदाहरण के तौर पर हमने राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय मटपुरही में पेंट सप्लाई की जानकारी ली. इसमें स्पष्ट हुआ कि 8 से 9 हजार तक के भुगतान के बाद आसानी से रंग रोगन का कार्य पूरा किया जा सकता है. हालांकि यहां भी विभागीय मानक के अनुसार रंग रोगन के लिए लाए गए पेंट अनुकूल नहीं थे. यहां पेंट सामग्री की आपूर्ति श्री हरी सैनिटेशन एंड हार्डवेयर बेदानी मोड तरहसी ने की थी. इसी तरह राजकीय मध्य विद्यालय कसमार में जब जाकर इस मामले में जानकारी ली गई तो वहां पेंट आपूर्ति एमएस निशा ट्रेडर्स सूदना डालटनगंज ने की थी और 35 से 40 हजार का बिल वाउचर दिया गया था. यहां भी विभाग के मानक के अनुसार पेंट आपूर्ति नहीं की गई थी.
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मानक के अनुसार रंग रोगन नहीं, बिना जांच भुगतान
इस मामले में तरहसी के कनीय अभियंता (शिक्षा विभाग) चंदन कुमार सिंह के अनुसार पेंट कराने से पहले दीवारों पर हुई टूट-फूट की मरम्मत होनी चाहिए. उसके बाद सरस पत्ता से रगड़ कर दीवार को चिकना करना पड़ता है. उसके बाद पेंट किया जाता है. पुराने विद्यालय में सिर्फ एसीई सीरीज का पेंट लगाना है, जबकि नए विद्यालयों में अपेक्स एशियन पेंट को विभाग लगाने के लिए वैलिड किया है, लेकिन ट्रैक्टर यूनो एशियन पेंट एवं स्पार्क एशियन पेंट का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है. पेंट करने से पहले भवनों की दीवार की मरम्मत कहीं नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि वह इंजीनियरिंग सेक्शन से आते हैं लेकिन इस मामले में उन्हें स्थल जांच से वंचित रखा गया है. जांच की जिम्मेवारी मांगने पर अब तक अधिकार नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि कहीं भी मानक के अनुसार रंग रोगन का कार्य नहीं हो रहा है और भुगतान कर दिया जा रहा है.
बीइइओ ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया
मामले में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी परमेश्वर साहू ने बताया कि अपेक्स एवं बर्गर कंपनी का पेंट परचेज करने का निर्देश दिया गया है. किसी भी वेंडर से परचेज किया जा सकता है. किसी एक वेंडर से लेने की बाध्यता नहीं है. क्वालिटी का सामान लगाने का निर्देश है, जहां गलतियां पाई जा रही हैं वहां स्थल जांच की जा रही है. गड़बड़ी पाए जाने पर भुगतान रोका जाएगा. मानक के विपरीत पेंट लगाने और बिल वाउचर अधिक दिए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि ऐसा कही नहीं है. अगर होगा तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.




