हजार बुजुर्ग और 23 हजार दिव्यांग मतदाताओं के लिए खास व्यवस्था, करना होगा ये काम
पांकी बराज बना सफेद हाथी
पांकी प्रखंड के लगभग 50 गांवों के किसानों को फायदा पहुंचाने और इलाके के जलस्तर को बनाये रखने के उद्देश्य से अमानत बराज की आधारशिला रखी गई थी. वर्ष 2001 में 34 करोड़ की लागत से बननेवाली इस परियोजना की आधारशिला झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने रखी थी. बराज के निर्माण से पांकी के लगभग 50 गांवों को फायदा होता. साथ ही केनाल द्वारा पांकी, तरहसी, मनातू, पाटन क्षेत्र से बिहार में पानी ले जाना था. मगर केनाल निर्माण क्षेत्र में कुछ जमीन वन विभाग का पड़ता था, वहां से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण योजना अधूरा रह गया. विभाग द्वारा बनाए गए सरकारी आवास व ऑफिस बेकार पड़े हैं. 1980 के दशक में करोड़ों रुपये की लागत से बनाई गई औरंगा जलाशय परियोजना भी आज धूल भांक रहा है. पांकी बराज के कैनाल निर्माण लंबित होने के कारण किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पाया, इसका मलाल पांकीवासियों को है. इसे भी पढ़ें-चांडिल">https://lagatar.in/chandil-the-havoc-of-speed-took-the-lives-of-four-bodies-were-taken-out-with-a-crane/">चांडिल: रफ्तार की कहर ने ली चार की जान, क्रेन से निकाले गए शव [wpse_comments_template]