Koderma : प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामल अहमद के मार्गदर्शनानुसार एवं प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे के निर्देशानुसार पासवा के द्वारा राज्य के सभी जिला उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपा गया. जिसके अंतर्गत सोमवार को चतरा पासावा का एक प्रतिनिधि मंडल ने उपायुक्त यहां एक ज्ञापन सौंपा.प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से जिला कोडरमा में प्रदेश महासचिव अनिल कुमार , प्रदेश सचिव तौफीक हुसैन,कोडरमा जिला अध्यक्ष डॉ•बीएनपी वर्णवाल,जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण कुमार शामिल थे.
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निजी विद्यालयों की सकारात्मक भूमिका
ज्ञापन में कहा गया है की राज्य के सभी जिले के बच्चों का कोरोना टीकाकरण अभियान को यथा संभव सहयोग कर सफल बनाने एवं स्कूल खोलने के संबंध में सरकार को हर संभव सहयोग कर अभियान को सफल बनाने की बात कही. वस्तुतः15 वर्ष से 18 वर्ष के बच्च़ो का कोरोना टीकाकरण बगैर विद्यालय को खोले संभव नहीं है.प्रारंभ से ही राज्य में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में निजी विद्यालयों की सकारात्मक भूमिका रही है.राज्य में संचालित सैंतालिस हजार प्राइवेट स्कूलों की तरफ से हम टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने के लिये कृत संकल्प हैं. किंतु वास्तविकता यह है कि जब स्कूली बच्चे शिक्षकों से प्रेरित होकर टीका लेंगे, तो कई तरह की भ्रांतियां के कारण या संक्रमण की गंभीरता को अनदेखा करने वाले उनके अभिभावक भी टीका लेने के लिए प्रेरित होंगे. साथ ही कुछ महीने बाद जब 10 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण प्रारंभ होगा तब यही बच्चे अपने बड़े भाई बहनों को टीका लेते देख मानसिक रुप से तैयार रहेंगे.
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उपायुक्त का ध्यान आकर्षित कराया
एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री व जिला उपायुक्तों का ध्यान आकर्षित कराया गया कि पासावा राज्य में संचालित निजी विद्यालयों की ओर से अनुरोध करती है कि देश में संक्रमण की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ा है,लेकिन राज्य के नौनिहाल बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि 50 प्रतिशत की उपस्थिति के साथ पुनः विद्यालय या कक्षाएं नहीं चलायी जा सकती है. या फिर जिस क्लास रूम में 25 बेंच है,उसमें सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कक्षाएं पुनः शुरू नहीं की जा सकती है. शिक्षा के महत्व एवं अध्ययनरत बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में सरकार को गंभीरता से पुनः विचार करना चाहिए. इसके अलावा नगर निगम शिक्षण संस्थानों से चार तरह का टैक्स वसूलता है,जिसमें कचरा,होल्डिंग,वाटर टैक्स और ट्रेड लाइसेंस और प्राइवेट स्कूलों को भवन किराया,बस,वहनों का ईएमआई,टैक्स,फिटनेस,बिजली बिल और शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन समेत अन्य खर्च का भी बोझ विद्यालय को उठाना पड़ रहा है. ऐसे में पहली और दूसरी लहर में कई स्कूल बंद हो गये,अब यदि तीसरी लहर में भी स्कूलों को बंद रखा गया,तो निजी स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक,शिक्षकेतर एवं सहायक कर्मियों के समक्ष पुनःभुखमरी की स्थिति उत्पन्न गयी है. सूबे में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला संस्थान अगर कोई है तो वह निजी विद्यालय हैं,निजी विद्यालय लगातार पिछले 2 वर्षों में बंद होते चले जा रहे हैं और यही स्थिति रही तो निजी विद्यालयों पर ताले लटक जायेंगे.