Lagatar Desk: पैगासस फोन टेप मामले में वाशिंगटन पोस्ट ने अगली लिस्ट जारी कर दी है. इसके अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, आईटी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, ममता बनर्जी के भतीजे अभिजीत बनर्जी, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा समेत कई नेताओं के नाम इस फोन टेप की लिस्ट में हैं. उल्लेखनीय है कि पैगासस सॉफ्टवेयर इजराइल की कंपनी है. यह कंपनी सिर्फ सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही सॉफ्टवेयर बेचती है. हालांकि भारत सरकार ने इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की बात से इंकार किया है.
ताजा लिस्ट आने के बाद राजनीतिक हलकों में सनसनी फैल गई है. कांग्रेस ने तत्काल जांच की मांग की है. इससे पहले रविवार रात वाशिंगटन पोस्ट ने पहली लिस्ट जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि देश के 40 से अधिक पत्रकारों के फोन टेप किये जा रहे थे. इस मुद्दे को लेकर आज लोकसभा और राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. विपक्ष जांच की मांग कर रहा है.
सत्ता पक्ष से आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में जवाब देते हुए कहा था कि इस मामले में सरकार का कोई हाथ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि इससे कुछ गलत भी नहीं है. जिसके बाद हंगामा और बढ़ गया. लेकिन कुछ ही घंटे के बाद जो लिस्ट सामने आये, उसमें उनका नाम भी सामने आया.
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फोन हैक करने वाली कंपनी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और दो मंत्रियों को भी अपना निशाना बनाया गया है. इन मंत्रियों में अश्विनी वैष्णव नाम सामने आया है. द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में 300 भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं, जिनमें 40 मोबाइल नंबर भारतीय पत्रकारों के हैं.

इनके अलावा तीन बड़े विपक्षी नेता, मोदी सरकार में दो केंद्रीय मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा, पूर्व प्रमुख और अधिकारी, बिजनेमैन शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि इन नंबरों को 2019 के लोकसभा चुनाव से 2018-2019 के बीच निशाना बनाया गया था.
पेगासस कंपनी ने वाशिंगटन पोस्ट से साफ कहा है कि वह मोबाइल फोन हैक करने का सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकार को ही बेचती है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भारतीय नेताओं, पत्रकारों, जजों और ब्यूरोक्रेसी से जुड़े लोगों का फोन हैक करने के लिये पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किस देश की सरकार ने किया है. लेकिन फोन हैक करने का काम लोकसभा चुनाव से पहले किया गया है. इससे शक की सुई केंद्र सरकार की तरफ मुड़ रही है.