Ranchi : डॉ बीआर आंबेडकर एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. संस्थान द्वारा शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए झारखंड सुपीरियर न्यायिक सेवा में आरक्षण देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने विज्ञापन संख्या-01/2022 जो दिनांक 24.03.2022 को निकाली गई थी, इसके द्वारा झारखंड सुपीरियर न्यायिक सेवा में उपस्थित 22 रिक्तियों के विरुद्ध जिला न्यायाधीशों के पद के चयन के लिए आवेदकों को आमंत्रित किया है. यह घोषणा झारखंड राज्य आरक्षण नीति को नजरअंदाज करते हुए की गयी है. अधिवक्ता अनिल कुमार साहू के मुताबिक झारखंड सुपीरियर न्यायिक सेवा में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्ग की श्रेणियों के लिए आरक्षण का प्रावधान है. याचिका में कहा गया है कि बिना आरक्षण के चयन की प्रक्रिया शुरू किया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) के विरुद्ध है.
आरक्षण के मौलिक अधिकारों की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार राज्य से विभाजन के बाद झारखंड में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज में नियुक्ति के लिए आरक्षण के अधिनियमों का पालन कभी नहीं किया गया. ऐसा कर के झारखंड राज्य ने संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिए गए आरक्षण के मौलिक अधिकारों की अवहेलना की है. अब तक झारखंड राज्य में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज की नियुक्ति ‘सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज (रेक्रूट्मेंट, अपॉइंटमेंट एंड कंडिशंस ऑफ सर्विस) रूल 2001’ के अनुरूप की जा रही है, जो उस वक़्त के तत्कालीन राज्यपाल की देखरेख में तैयार की गयी थी.
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