Ranchi : झारखंड में कोयला चोरी और तस्करी का खेल काफी पुराना है. इसमें पुलिस और कोयला माफिया की मिलीभगत की बात भी अक्सर सुनने को मिलती है. झारखंड पुलिस मुख्यालय ने जून 2020 में कोयला माफिया और पुलिस वालों के बीच बने इसी नेक्सस खत्म करने के लिए लातेहार कोयला चोरी का मामला सीआइडी को सौंपा था. लेकिन ढाई साल बाद भी लातेहार के बालूमाथ में पुलिस की मदद से कोयले की तस्करी करने वाले रामगढ़, लातेहार, रांची और चतरा के कोयला माफियाओं खिलाफ जांच पूरी नहीं हो पायी है.
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माफियाओं के खाते से करोड़ों के लेन-देन हुए थे
कोयला चोरी को लेकर लातेहार के बालूमाथ थाना में केस दर्ज किया गया था. इस मामले में तत्कालीन एसपी प्रशांत आनंद ने डीजीपी सहित अन्य अफसरों को जांच रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट में लिखा था कि केस में गिरफ्तार व्यक्तियों के बैंक खाते से जानकारी मिली है कि नियमित रूप से कोयला माफियाओं के खाते से करोड़ों के लेन-देन हुए हैं. एसपी की रिपोर्ट के अनुसार, बालूमाथ थाना अंतर्गत ओसीपी माइनिंग एरिया में कोयला का अवैध कारोबार किया जा रहा था जिसपर प्रोजेक्ट इंचार्ज अशोक कुमार की शिकायत पर कामेश्वर कुमार दास, ट्रक मालिकों व चालकों के खिलाफ बालूमाथ थाना में छह जून 2020 को केस दर्ज किया गया था.
माफियाओं के बीच होता था मैसेज का आदान-प्रदान
वहीं आरोपियों के मोबाइल को देखने से भी स्पष्ट हुआ था कि पुलिसकर्मियों व कोयला माफियाओं के बीच कारोबार से संबंधित मैसेज का आदान-प्रदान होता था. अवैध कोयला परिवहन के लिए डालटनगंज का संतोष मिश्रा, जिसका ऑफिस अरगोड़ा में है, वह कोयला परिवहन से संबंधित फर्जी पेपर माफियाओं को उपलब्ध कराता था. इसकी पुष्टि उससे पूछताछ में भी हुई थी. इस काम के लिए उसे पैसे मिलते थे. उसका संपर्क रामगढ़ के कुजू निवासी अमित केसरी से था. अमित वहां साइबर कैफे चलाता है. उसके सहयोग से संतोष मिश्रा फर्जी कागजात बनवाता था और व्हाट्सएप्प पर मंगाता था. पुलिस की टीम कुजू स्थित अमित केसरी के ऑफिस में भी छापेमारी कर चुकी है. उसने पूछताछ में बताया था कि वह कोयला ऑफिस जाने पर कंप्यूटर से फर्जी पेपर तैयार करता था.
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