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TPC के ये 3 बड़े उग्रवादी पुलिस के रडार पर, गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा रही पुलिस

Ranchi: टीपीसी के तीन बड़े उग्रवादी झारखंड पुलिस के रडार पर हैं. इन तीन बड़े उग्रवादियों में टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू, आक्रमण गंझू और भीखन गंझू शामिल हैं. तीनों बड़े उग्रवादी झारखंड पुलिस के अलावा एनआईए के रडार पर भी हैं. जानकारी के अनुसार टीपीसी के दूसरा प्रमुख मुकेश गंझू के सरेंडर करने के बाद और मुकेश गंझू के द्वारा दिए सूचना के आधार पर झारखंड पुलिस ब्रजेश गंझू, आक्रमण गंझू और भीखन गंझू की गिरफ्तारी के जाल बिछा रही है. गिरफ्तारी के लिए लगातार">http://lagatar.in">लगातार

अभियान चला रही है.

ब्रजेश गंझू समेत चार हार्डकोर उग्रवादियों का फोटो जारी

टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू समेत चार टीपीसी उग्रवादियों के ख़िलाफ़ इनाम घोषित किया गया है. झारखंड पुलिस ने बीते आठ जनवरी को उग्रवादियों के फोटो भी जारी किये गये थे. इन उग्रवादियों के बारे में जानकारी देने वाले लोगों को चतरा पुलिस के द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा. टीपीसी के जिन उग्रवादियों की फोटो जारी किया गया है. उसमें 25 लाख का इनामी टीपीसी सुप्रीमो बृजेश गंझू, 15 लाख ईनामी आक्रमण गंझू, 15 लाख इनामी मुकेश गंझू और 10 लाख इनामी भीखन गंझू शामिल था.15 लाख ईनामी मुकेश गंझू के सरेंडर करने के बाद से बाकी तीन अन्य उग्रवादियों कि तलाश में झारखंड पुलिस जुटी हुई है.

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सुप्रीमो ब्रजेश गंझू समेत चार हार्डकोर उग्रवादियों का फोटो जारी, सूचना देने वाले को मिलेगा इनाम   

टीपीसी उग्रवादी संगठन को खत्म करने में जुटी पुलिस

झारखंड पुलिस और चतरा पुलिस के द्वारा टीपीसी उग्रवादी संगठन के खिलाफ">http://lagatar.in">

लगातार
अभियान जारी है. आने वाले समय में इस संगठन को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए झारखंड पुलिस और चतरा पुलिस जुटी हुई है. चतरा एसपी ऋषभ कुमार झा ने टीपीसी उग्रवादियों से अपील करते हुए कहा है कि जो उग्रवादी हिंसा का रास्ता छोड़ आत्मसमर्पण नीति के संपूर्ण लाभ उठाना चाहते हैं, उनका मुख्यधारा में स्वागत होगा. जो ऐसा नहीं करेंगे उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जाएगा. चतरा पुलिस टीपीसी के हार्डकोर उग्रवादियों की गिरफ्तारी कराने वाले को पुरस्कृत करेगी. सूचना देने वाले का नाम और पता गोपनीय रखते हुए उसे गुप्त रूप से ईनामी राशि से पुरस्कृत किया जाएगा.

साल 2005 में बना था टीपीसी संगठन

उग्रवादी संगठन टीपीसी  का गठन वर्ष 2005 में हुआ था, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि साल 2004 से ही तैयार होने लगी थी. चतरा, लातेहार, हजारीबाग और पलामू में साल 2004-05 में भाकपा माओवादी (21 सितंबर 2004 से पहले एमसीसीआइ) के एक खास जाति के नक्सलियों की लगातार गिरफ्तारी हुई थी. इस कारण संगठन में दो फाड़ होने लगी थी. एक जाति के नक्सलियों को लग रहा था कि दूसरी जाति के नक्सली अपना दबदबा बढ़ाने के लिए उन्हें गिरफ्तार करवा रहे हैं. टीपीसी के गठन के वक्त दो बड़े नक्सली नेता अमूल्य सेन और कन्हैया चटर्जी की तसवीर लगाने को लेकर विवाद हुआ था.

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के हार्डकोर उग्रवादी गणेश गंझू समेत दो उग्रवादी गिरफ्तार, हथियार बरामद

अमूल्य सेन की तसवीर पहले लगाने की मांग करने वाले माओवादियों ने अलग होकर टीपीसी बनायी थी. लेकिन इससे बड़ा एक सच यह भी था कि उस वक्त ब्रजेश, मुकेश और पुरुषोत्तम पर संगठन के पैसे का गबन करने का आरोप था. टीपीसी के गठन के वक्त ये तीनों उग्रवादी संगठन के बड़े पद पर थे. पुरुषोत्तम मारा जा चुका है और ब्रजेश और मुकेश (सरेंडर) अब भी जिंदा है और चतरा-हजारीबाग में सक्रिय है. इन उग्रवादियों के बारे में कहा जाता है कि टीपीसी के गठन के बाद इनकी संपत्ति में इजाफा हुआ है.

चार जिलों में बढ़ता गया टीपीसी का वर्चस्व

हजारीबाग, चतरा, लातेहार और पलामू में धीरे-धीरे माओवादियों की पकड़ कमजोर पड़ती गयी. माओवादियों के कमजोर पड़ने के साथ ही टीपीसी का वर्चस्व बढ़ता गया. हजारीबाग के बड़कागांव से होने वाले अवैध कोयला कारोबार, टंडवा, पिपरवार से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग, लोहरदगा की बॉक्साइट ढुलाई समेत अन्य धंधों से मिलने वाले लेवी की राशि माओवादियों के बजाये टीपीसी के उग्रवादियों को मिलने लगी. 27 मार्च 2013 को कुंदा थाना क्षेत्र के लकड़बंधा गांव में भाकपा माओवादी के दस उग्रवादियों को मौत के घाट उतार टीपीसी ने अपनी मजबूती का अहसास कराया था.    

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